पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। हाल ही में हुई बारिश ने मुख्यमंत्री जतन योजना की पोल खोल दी है. सीपेज बंद करने जिन स्कूलों का मरम्मत कराया था, उनमें से ज्यादातर में सीपेज हो रहा है. यही नहीं फ्लोरिंग में दरारें पड़ गई हैं, खिड़की व दीवारों के अधूरे मरम्मत को रिकार्ड में पूरा बताया गया है. हैरानी की बात तो यह है कि बीते 6 माह में 1300 में से केवल 473 के ही मरम्मत कराए जा सके.
जिले में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत 1300 स्कूलों को मरम्मत कराने 89.49 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी. काम कराने की जवाबदारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को थी, जिसने लगभग 100 ठेका कंपनियों को अप्रैल-मई माह में स्वीकृत सभी कार्यों का टेंडर जारी कर दिया. लेकिन बीते पांच माह में केवल 473 काम ही पूरे हो सके. जिन काम को पूर्ण बताया गया है, उनमें से कई कार्य का मरम्मत तैयार प्रांकलन के अनुसार नहीं हुआ है.
काम का जायजा लेने लल्लूराम डॉट कॉम ने देवभोग ब्लॉक के प्राथमिक शाला दहीगांव, नागलदेही, मूरगुडा, कैठपदर, बरकानी, उसरीपानी, खवास पारा समेत 23 स्कूलों में पहुंची. इसी तरह मैनपुर ब्लॉक के 12 स्कूलों के जतन को भी करीब से देखा.
बाहर पूर्णता का सर्टिफिकेट और अंदर…
सर्गीगुड़ा स्कूल के दीवारों में कार्य पूर्णता का मोनो लगाया गया था, लेकिन पर अंदर पेंटिंग, फ्लोरिंग के कार्य अधूरा पड़ा था. बरकानी समेत दर्जन भर स्कूल ऐसे थे, जहां पुरानी खिड़की के छज्जे को मरम्मत किए बगैर पेंटिंग किया गया. ज्यादातर स्कूलों में केवल दीवारों की पुताई हुई, लेकिन खिड़की दरवाजे को टूटे-फूटे हाल में ही छोड़ दिया गया है.
ठेकेदारों से 14-16 परसेंट हुई वसूली
मरम्मत कार्य को अक्सर मलाईदार माना जाता है, जैसे ही जतन योजना में मरम्मत के लिए टेंडर जारी हुआ, कई ठेकेदार कूद पड़े. विभाग ने भी मौके का फायदा जमकर उठाया. टेंडर देने की प्रकिया में दस्तावेजों से ज्यादा अहम सेटिंग का था. नाम न छापने के शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया कि टेंडर के नाम पर पहले ही मंजूर रकम के अनुपात में 10 परसेंट ले लिया गया. नया बकरा देख कर 14 से 16 परसेंट तक की वसूली की गई.
एक बाबू व्यवस्था पर भारी
बात जब तत्कालीन कलेक्टर तक पहुंची तो लेखा शाखा के बाबू को हटा दिया गया, लेकिन खेला माहिर बाबू तब भी पिछले दरवाजे से कमांड का पालन के रहा था, मौका देख कलेक्टर के बदलते ही फिर से कुर्सी में बिठा दिया गया, अब दूसरे चरण में बिल पास-फेल करने का खेल चल रहा है. अधूरे कार्य का भी कागजी सत्यापन कर भुगतान किया जा रहा.
नहीं मिल रहा पैसे
तत्कालीन सरकार स्कूल जतन को प्राथमिकता में रखा हुआ था, लेकिन विभाग ने इसे हल्के में लिया. लिहाजा काम मंजूरी के 6 माह बाद भी पूरा नहीं हो सका. कार्यपालन अभियंता कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, जिले के 5 ब्लॉक के 1300 स्कूलों के जतन के लिए 89.49 करोड़ की मंजूरी मिली. 473 काम पूरा हुआ है, जिसके लिए अब तक केवल 14 करोड़ का ही भुगतान हुआ है.
141 ठेकेदारों ने रोका काम
रिकार्ड बताते है की पहले चरण के काम का भुगतान पूरा नहीं करने के बावजूद दूसरे चरण के कार्य को पूरा करने का दबाव बनाया गया. दबाव के चलते 141 काम को ठेकेदारों ने शुरू तक नहीं किया. सरकार बदलने को है, ऐसे में इस काम के लिए मंजूरी राशि मिलेगी की नहीं इसका भी डर बना हुआ है.
नहीं हुआ है कहीं सीपेज
विभाग के ईई बीएस पैकरा ने सीपेज व अपूर्ण को पूर्ण बताने के मामले को सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा कि कही भी ऐसा नहीं हुआ है. सीपेज मिला तो तुड़वाकर दोबारा करेंगे. गड़बड़ी पाई गई तो कार्यवाही भी करेंगे.