सुप्रिया पांडे,रायपुर। राजधानी रायपुर के ब्राम्हणपारा स्थित कंकाली मठ को साल में एक बार दशहरा के दिन ही खोला जाता है. यह परंपरा करीब 500 वर्षों से निभाई जा रही है. इस बार कोरोना संक्रमण के चलते मठ को भक्तों के लिए नहीं खोला गया है. भक्तगण माता के दर्शन के लिए मठ तो पहुंच रहे हैं, लेकिन केवल बाहर से माता के आशीर्वाद लेकर लौट रहे हैं. माता के दर्शन के लिए ऑनलाइन और वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था की गई है.

मठ के महंत हरभूषण गिरी के अनुसार मान्यता है कि मां कंकाली दशहरा के दिन वापस इस मठ में आती है, उनकी आवभगत के लिए ही यह मठ खुलता है. रात को पूजा के बाद फिर 1 साल के लिए मठ के द्वार बंद कर दिए जाते हैं. मठ का इतिहास 600 वर्षों से भी अधिक प्राचीन है. नागा साधुओं के द्वारा इसकी स्थापना हुई थी.

प्राचीन काल में मां कंकाली की मूर्ति इसी मठ में स्थापित थी. जिसे 17वीं शताब्दी के बाद नया मंदिर का निर्माण कर मां कंकाली की प्रतिमा को मठ से मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया. लेकिन माता के अस्त्र-शस्त्र आज भी इसी मठ में है. दशहरे के दिन एक बार मठ के द्वार खोले जाते हैं और बड़ी संख्या में यहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस बार संक्रमण को देखते हुए दर्शनार्थियों के लिए वर्चुअल पद्धति अपनाई गई है.