सत्या राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर में विकास के नाम पर एक बार फिर आम जनता की सुविधा की बलि चढ़ गई है। शहर के बीचों-बीच टाउनहाल, कलेक्ट्रेट और कचहरी चौक के सामने बने बस स्टॉप को ठेकेदार ने तोड़कर ‘वर्किंग सेंटर’ में बदल दिया है। अब यहां बस का इंतजार करने वाले यात्रियों को धूप और बारिश में सड़क किनारे खड़े रहना पड़ रहा है। यह बस स्टॉप सिटी बसों और ऑटो के लिए प्रमुख ठहराव बिंदु था, जहां रोजाना हजारों लोग चढ़ते-उतरते थे।

शहर का प्रमुख बस स्टॉप बना निर्माण सामग्री का गोदाम

टाउनहाल और कलेक्ट्रेट के बीच का इलाका रायपुर का सबसे व्यस्त क्षेत्र माना जाता है। हर दिन यहां से सरकारी कर्मचारी, वकील, छात्र, व्यापारी और आम नागरिक गुजरते हैं। पहले यहां बस स्टॉप यात्रियों को सुविधा और सुरक्षा दोनों देता था, लेकिन अब यह स्थान लोहे के ढांचे, सीमेंट के बैग और मशीनरी से भर गया है।

एक बुजुर्ग यात्री ने नाराजगी जताते हुए कहा – “बस का इंतजार करते-करते पैर दुख जाते हैं। ठेकेदार ने बस स्टॉप को गोदाम बना लिया, लेकिन हमारी सुविधा का क्या?”

ठेकेदार ने दिया गोलमोल जवाब

यह काम पी.एस.ए.ए. कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दिया गया है। बस स्टॉप पर लगाए गए बोर्ड में प्रोजेक्ट मैनेजर का नाम राम सूचित मिश्रा लिखा है। जब उनसे फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने हैरान कर देने वाला जवाब दिया –
“मैं प्रोजेक्ट मैनेजर नहीं हूं। पता नहीं मेरा नंबर क्यों डाला गया। सामान रखने की परमिशन ली गई है, यह बस स्टॉप नहीं है।”

जब उनसे पूछा गया कि परमिशन किससे ली गई, तो उन्होंने बताया – “PWD से।” लोक निर्माण विभाग (PWD) के नाम का जिक्र होते ही सवाल उठने लगे हैं कि क्या विभाग ने वास्तव में सार्वजनिक स्थान को निजी निर्माण सामग्री रखने की अनुमति दी?

पुराना स्काईवॉक प्रोजेक्ट और नया विवाद

दरअसल, रायपुर का स्काईवॉक प्रोजेक्ट वर्ष 2017 से विवादों में रहा है। वर्षों तक यह अधूरा पड़ा रहा और करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। हाल ही में मई 2025 में PWD ने 37.75 करोड़ रुपये जारी कर निर्माण कार्य फिर से शुरू कराया। लेकिन अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस ‘पुनरारंभ’ के नाम पर जनता की सुविधाओं को खत्म किया जा रहा है?

स्थानीय निवासी और यात्री इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। एक युवा यात्री गणेश कुमार ने कहा – “यह शहर का सबसे व्यस्त इलाका है। यहां रोज 40,000 से ज्यादा पैदल यात्री गुजरते हैं। बस स्टॉप तोड़ना जनता के अधिकारों का हनन है।”

यात्रियों की दुश्वारी – सड़क पर इंतजार, सुरक्षा खतरे में

सुबह के व्यस्त समय में कलेक्ट्रेट जा रहे कर्मचारी, कचहरी के वकील और कॉलेज के छात्र अब सड़क के किनारे खड़े होकर बस का इंतजार करते हैं। न छाया है, न बैठने की जगह। एक महिला यात्री ने कहा – “ऑटो वाले मनमाना किराया वसूलते हैं क्योंकि कोई निर्धारित स्टॉप नहीं है। बच्चे और महिलाएं असुरक्षित महसूस करते हैं।”

शहर के यातायात आंकड़ों के मुताबिक, शास्त्री चौक और टाउनहाल क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 35,000 से 40,000 पैदल यात्री गुजरते हैं। स्काईवॉक का उद्देश्य पैदल भीड़ को कम करना था, लेकिन निर्माण के नाम पर मौजूदा सुविधाएं खत्म कर दी गईं।

कलेक्टर ने जांच का दिया आश्वासन, महापौर ने कहा- ठेकेदार को ऐसा करने की नहीं दी गई कोई अनुमति

इस पूरे प्रकरण ने रायपुर प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। जब रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह से इस मामले में संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा — “मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी, तुरंत जांच कराता हूं।”
कलेक्टर का यह बयान कई सवाल खड़े करता है कि आखिर शहर के हृदय स्थल पर हो रही ऐसी कार्रवाई से प्रशासनिक अधिकारी अनजान कैसे रह सकते हैं?

दूसरी ओर, रायपुर की महापौर मीनल चौबे ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा- “जनता की सुविधा और सुलभ यात्रा के लिए बस स्टॉप बनाए जाते हैं। बने हुए स्टॉप को तोड़ना या उस पर कब्जा करना अपराध है। ठेकेदार को ऐसा करने की कोई अनुमति नहीं दी गई है। अधिकारियों को निर्देश दे रही हूं कि तत्काल कार्रवाई की जाए।”

महापौर का यह बयान सराहनीय जरूर है, लेकिन अब जनता का सवाल है कि कार्रवाई कब होगी? इस बीच रायपुरवासी अब आंदोलन के मूड में हैं। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही बस स्टॉप की व्यवस्था बहाल नहीं की गई और ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं हुई, तो सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। फिलहाल, महापौर के आदेशों के बाज अब देखना यह है कि इस पर कब और कैसे अमल होता है, क्योंकि जनता का सब्र अब टूटने के कगार पर है।

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