सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। जिला अस्पताल की व्यवस्था का आलम यह है कि OPD पर्ची कटाने में ही मरीजों की हालत खराब हो जाती है. जब तक पर्ची कटा पाते हैं, तब तक डॉक्टरों की छुट्टी हो जाती है. केवल OPD पर्ची ही नहीं जिला अस्पताल में समस्या की लंबी फेहरिस्त है.

जिला अस्पताल पंडरी दिखने में तो चकाचौंध किसी प्राइवेट हॉस्पिटल से कम नहीं है, लेकिन बाहर से जो भव्य दिखने वाला बिल्डिंग के अंदर का दृश्य कुछ और है. यहां मरीज़ों को इलाज मिलना तो दूर OPD पर्ची लेने में ही ले में ही उनकी हालत ख़राब हो जा रही है. पंजीयन पर्ची हासिल करने के लिए घंटों की मशक़्क़त लगती है, और जब तक पर्ची हाथ लगती है, तब तक डॉक्टरों की छुट्टी हो जाती है. ऐसे में मरीज़ों को इलाज के लिए कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ता है.

स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने दो दिन पहले ही हॉस्पिटल का जायज़ा लिया था. बढ़ते मरीज़ों की संख्या को देखते हुए व्यवस्था को दुरुस्त करने काउंटर बढ़ाने के साथ-साथ सुबह 7 बजे से पंजीयन के आदेश दिए थे. लेकिन मजाल है कि आदेश का पालन हो. तमाम समस्याएं यथावत बनी हुई है. न काउंटर बढ़े हैं, और न ही भीड़ में कमी हुई है.

अस्पताल की व्यवस्था कितनी ख़राब है, इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि गर्भवती महिला को घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है. पैरों में सूजन आ जाता है. पसीने से लथपथ हो जा रहे हैं. केवल गर्भवती महिलाएं ही नहीं विकलांग और बुजुर्ग भी लाइन में घंटों खड़े होने को मजबूर हैं.

पर्ची के लिए खड़े-खड़े सूज जाते हैं पैर

दलदल सिवनी गर्भवती महिला चित्रलेखा कहती हैं कि क्या करें. हमारी मजबूरी है. घंटेभर से लाइन में खड़ी हूं. पैर में सूज़न हो गया है. लाइन में नहीं रहेंगे तो पर्ची नहीं मिलेगी तो इलाज कैसे कराएंगे. इतना पैसा हमारे पास नहीं है कि प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करा सकें.

तेलीबांधा निवासी गर्भवती महिला रिंकी बंदे ने कहा कि बैठने के भी नहीं व्यवस्था मजबूरी है. लाइन में खड़े हैं. पति काम में जाते हैं, तो घर में चूल्हा जलता है. ऐसे में कोई और नहीं है, तो लाइन में खड़ी हूं.

महुआ बाज़ार निवासी गर्भवती महिला पल्लवी साहू ने बताया कि दो दिन से चक्कर लगा रही हूं, और आज भी पर्ची अभी तक नहीं मिला है. कम से कम अस्पताल में बैठने की व्यवस्था हो. पीने के लिए पानी और साफ बाथरूम का होना जरूरी है.

पांच दिन से लगा रहे चक्कर

राम प्रसाद सोनी बताते हैं कि इलाज के लिए पांच दिनों से अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं. वे बताते हैं कि पहले दिन मैने पर्ची ली. दूसरे दिन डॉक्टर को दिखाया, तीसरे दिन में टेस्ट के लिए गया, लेकिन काउंटर बंद हो गया था. इस पर चौथे दिन टेस्ट कराया. आज पांचवें दिन रिपोर्ट के लिए खड़ा हूं. कुछ देर में काउंटर बंद हो जाएगा तो कल फिर रिपोर्ट को लेकर डॉक्टर को दिखाने आऊँगा. अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीज़ों को कैसा इलाज मिल रहा है.

सुविधाओं में किया जा रहा विस्तार

अस्पताल अधीक्षक पीके गुप्ता कहते हैं कि मरीज़ों की संख्या बढ़ गई है. व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है. मेकाहारा का स्त्री रोग विभाग जिला अस्पताल में है. गर्भवती महिलाओं की समस्या को देखते हुए  OPD पंजीयन का टाइम 7 बजे से किया गया है, वहीं जो डॉक्टर समय से पहले अनुपस्थित होंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी.