Raipur Famous Food: रायपुर. प्रतीक चौहान. अगर आप चाट-गुपचुप खाने के शौकीन हैं, तो आज हम आपको रायपुर की सबसे पुरानी चाट-गुपचुप की दुकान के बारे में बताने जा रहे है, जो करीब 34 साल पुरानी है. इस दुकान का नाम है पंजाबी चाट कॉर्नर (Punjabi Chaat Corner) ये दुकान वर्तमान में राजधानी रायपुर के शैलेंद्र नगर में है. लेकिन इसकी शुरूआत शंकर नगर में एक टेबल में दुकान लगाने से हुई थी. शैलेंद्र नगर में ये दुकान कोरोनाकाल के बाद से हैं. इस शॉप के मालिक रवि टंडन ने लल्लूराम डॉट कॉम से यहां तक के अपने सफर की पूरी जानकारी शेयर की. यदि आपके पास भी ऐसी कोई संघर्ष भरी कहानी हो तो 93291-11133 नंबर पर फोन कर शेयर कर सकते हैं.
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पंजाबी चाट कॉर्नर के मालिक रवि टंडन बताते है कि वे जब 9 वीं कक्षा में थे तब उनके परिवार में अचानक एक डाउन फॉल आया. उनके पिता का बर्तन का व्यवसाय था. इस दौरान उनकी मां श्रीमती शकुंतला देवी टंडन ने मोर्चा संभाला और बेटे के लिए घर से ही गुपचुप और चाट बनाकर देना शुरू किया. तब वे शंकर नगर में एक टेबल में अपनी गुपचुप-चाट की दुकान लगाते थे. तब ऐसा कई बार हुआ कि उन्हें पूरा सामान न बिकने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन उन्होंने संर्घष से हार नहीं मानी और खूब मेहनत की और आज आलम ये है पंजाबी चाट कॉर्नर राजधानी रायपुर के मशहूर चाट-गुपचुप की दुकानों में से एक है.
25 साल से मौजूद है स्टॉफ (Punjabi Chaat Corner)
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रवि टंडन बताते है कि उनकी दुकान में 25 वर्षों से स्टॉफ चंद्रमणि कार्यरत है. वो 500 रूपए महीने की वेतन से उनके साथ काम करते आ रहे है. वे कहते है कि उन्होंने उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह रखा है, यही कारण है कि जब लोग 1-2 साल से ज्यादा कही काम में टिकते नहीं है, वो 25 वर्षों से उनके साथ काम कर रहे है.
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4 रूपए में बेची चाट (Punjabi Chaat Corner)
पंजाबी चाट कॉर्नर के मालिक रवि टंडन बताते है कि 34 वर्षों पहले उन्होंने 4 रूपए प्लेट के हिसाब से चाट बेचनी शुरू की, जो आप 80 रूपए प्लेट तक पहुंच गई है. वहीं शुरूआती दिनों में वे गुपचुप भी 2 रूपए के 6 पीस के हिसाब से बेचा करते थे. जो आज 20 रुपए के 6 पीस तक पहुंच गया है.
बेटा भी MBA के बाद संभालेगा पिता का बिजनेस
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रवि टंडन कहते है कि ये उनके लिए बड़ी खुशी की बात है कि उनका बेटा साहिल टंडन अभी पुणे से एमबीए कर रहा है. लेकिन आगे जाकर वे पिता के साथ बिजनेस में हाथ बटाने के लिए अभी से तैयार है और जब भी पढ़ाई के बाद वक्त मिलता है वो पिता की शॉप में बैठते है.