रिपोर्ट -रजनी ठाकुर

रायपुर।  रायपुर में सैकड़ो लोग कभी भी एक भंयकर हादसे का शिकार हो सकते हैं. ये लोग बांसटाल के एक सरकारी मकान में रहते हैं जो 100 साल पुराना और बेहद जर्जर हालत में है. मकान कितना जर्जर हो चुका है इस बात का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि छत पर कोई बच्चा भी आकर  बैठ जाए तो छत की सीमेंट और गिट्टी नीचे गिरने लगती है.

मकान पहले दो मंजिला था लेकिन ढहते ढहते एक मज़िल बची है. पहली मंजिल के कई कमरों की छतें टूट चुकी हैं. फिर भी लोग इसमें रहने को मजबूर हैं. मकान में निगम के सफाई कर्मचारी रहते हैं. ये लोग चाहते हैं कि मकान को तोड़कर नया मकान बनाया जाए लेकिन 18 साल से इस जर्जर मकान की जगह नया मकान नहीं बनवाया गया.
 
हर साल बरसात के पहले निगम अमला इसे आकर जर्जर घोषित करके चला जाता है लेकिन ना इसकी मरम्मत की कोशिश की गई, ना ही यहाँ रहने वाले सैकड़ो लोगों की ज़िन्दगी की चिंता की.
बरसात में यहाँ के लोग घरों की बिजली बंद करके सड़कों पर आ जाते हैं. क्योंकि पूरे घर में पानी भर जाता है और करंट का खतरा रहता है.
मकान की जर्जरता की शिकायत नगर निगम से लेकर राज्य शासन से की गई. जब इनकी मांगो पर सुनवाई नहीं हुई. तो इन लोगों ने सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाने के लिए सामूहिक आत्महत्या की धमकी दी. लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.
इस बात की शिकायत जब प्रधानमंत्री कार्यालय को भी की गई तो पीएमओ ने तीन बार राज्य सरकार को निर्देश दिया लेकिन किसी पर कोई असर नहीं हुआ.मकान बनाने के लिए प्रोजेक्टर रिपोर्ट तक शासन ने बनवा लिया लेकिन उसके बाद भी मामला आगे नहीं बढ़ पाया.
अब इन लोगों ने हाईकोर्ट का रुख किया है. हैरानी की बात है जिस बात के लिए सरकार को खुद पहल करके इस खतरनाक स्थिति से बचाना चाहिए उस पर इन्हें लड़ाई लड़नी पड़ रही है.