धमतरी, रवि साहू. विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाला प्रशासन जब जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ लेता है, तो नतीजा होता है-“बेलरगांव का मिनी स्टेडियम”, जो महज एक खंडहर बनकर रह गया है. सिहावा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बेलरगांव में लगभग 52 लाख रुपये की लागत से मिनी स्टेडियम का निर्माण किया गया था. इसके बावजूद यह ग्रामीणों के लिए खेल का केंद्र नहीं बन पाया और न ही यहां सामाजिक गतिविधियों हो सकी है. गजब तो यह है कि लगभग 10 वर्षों का समय बीत चुका है और अबतक स्टेडियम तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं बन पाई है.

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खेतों के बीच अविकसित सपना बनकर रह गया स्टेडियम

इस मिनी स्टेडियम का निर्माण ऐसे स्थान पर किया गया है, जिसके चारों ओर केवल खेत हैं और कोई पक्की अथवा कच्ची सड़क नहीं. जब खेतों में फसल लहलहाती है, तब स्टेडियम तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं होता. ग्रामीण खिलाड़ियों को खेतों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे फसलें भी खराब होती हैं और खिलाड़ियों की परेशानी भी बढ़ती है.

शराबियों और जुआरियों का बना अड्डा

स्थानीय युवाओं का कहना है कि वे कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक न सड़क बनी, न रखरखाव हुआ, न ही स्टेडियम को कोई उद्देश्य मिला. नतीजतन, अब यह स्टेडियम शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन चुका है. मैदान के चारों ओर बिखरी शराब की बोतलें, ताश के पत्ते, टूटी बाउंड्रीवॉल और मैदान के बीचोबीच लगा बिजली का पोल, यह सब उस उपेक्षा की गवाही देते हैं, जिसे प्रशासन ने विकास के नाम पर रचाया है.

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स्टेडियम होने के बावजूद दूसरे गांव में अभ्यास के लिए युवा मजबूर

गांव के युवाओं ने निराशा जताते हुए बताया कि स्टेडियम होते हुए भी उन्हें अन्य गांवों में जाकर अभ्यास करना पड़ता है, जिससे उनका समय, ऊर्जा और प्रतिभा तीनों प्रभावित होती हैं. फिटनेस और खेलकूद को लेकर जागरूक ग्रामीण भी सुबह की वॉक के लिए स्टेडियम नहीं जा पाते, क्योंकि रास्ता ही नहीं है. खुले सेफ्टिक टैंक की मौजूदगी स्टेडियम को दुर्घटना का न्यौता देने वाला स्थल बना रही है. स्थानीय निवासी बताते हैं कि मांग पर स्टेडियम जरूर मिला, लेकिन उसका लाभ उठाने का मौका अब तक नहीं मिल पाया है.

ये है युवाओं की मांगे

युवाओं की मांग है मिनी स्टेडियम शराबियों का अड्डा नहीं, खिलाड़ियों का केंद्र बने. इसके लिए बेलरगांव के युवाओं और ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन से सड़क निर्माण, बाउंड्रीवाल की मरम्मत, बिजली पोल स्थानांतरण और साफ-सफाई की मांग की है. उनका कहना है कि स्टेडियम को जल्द चालू किया जाए ताकि गांव की प्रतिभाओं को निखरने का अवसर मिल सके. आज जब सरकार खेलों को प्रोत्साहन देने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, तब बेलरगांव जैसे गांवों में स्टेडियम होते हुए भी उपयोग नहीं हो पाना, विकास के नाम पर छलावा ही प्रतीत होता है.

विकल्प तलाश रहे, जल्द एक्टिव करेंगे स्टेडियम

इस पूरे मामले पर धमतरी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने कहा, शुरुआत में ग्रामीणों ने आपसी सहमति से सड़क के लिए जमीन देने की बात कही थी, लेकिन बाद में जमीन निजी होने की वजह से किसानों ने इंकार कर दिया. अब हम विकल्प तलाश रहे हैं और जल्द ही स्टेडियम को एक्टिव करेंगे.