सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर- राजधानी के नंदनवन में जानवरों की सुरक्षा को लेकर घोर लापरवाही बरती जा रही है. यहां के जानवरों को गर्मी से बचाने के लिए किसी भी तरह का विशेष इंतज़ाम नहीं किये है. जानवरों के बाड़े में जो पानी की व्यवस्था होनी चाहिए वो नहीं किया है. बाड़े में सुरक्षा की दृष्टि से पानी भर के रखा जाता है वह इस स्थान सूखा पड़ा हुआ है.

नंदनवन में बब्बर शेर, भालू, चिता और हिरण आदि है. लगभग 45 डिग्री में इन जानवरों का बाड़ा भगवान भरोसे है. धूप और पानी से बचाने के लिए बनाया गया. घर नूमा बाड़ा में स्टील और लोहे का होने के कारण आग भट्टी की तरह होता है. इसलिए भालू ज्यादातर दिन में पेड़ों के नीचे या पेड़ में चढकर रहने को मजबूर है.

बब्बर शेर, भालू, चिता आदि को हिंसक जानवर मानकर सुरक्षा के मानक अनुरूप पानी बाड़ा के सामने हिस्सा में पानी भरा जाता,  ताकि ये जानवर छलांक लगाकर बाहर न आ सके, आश्यकता अनुरूप जानवर उसमें ढूबकर गर्मी से बचते हैं, लेकिन उस गढ्ढा में पानी का बूंद तक नहीं है.

जब इसको लेकर नंदन वन के प्रभारी विराज मुदलेयार से बातचीत की गई तो उनका कहना है कि पानी की कमी थोड़ी है, लेकिन बाड़ा में छिड़काव करने और पीने के लिए हो पाता है. यहां के जानवरों को जंगल सफारी में शिफ्ट किया गया है. और जो बचे हैं उसे भी कुछ दिनों में शिफ्ट कर दिया जाएगा. इसके बाद पक्षी विहार का संचालन होगा, जिसके लिए आधुनिक कारीडोर बनाया जा रहा है.

साथ ही बताया कि बाजू में नदी है उसमें पानी होने के बावजूद उसको हम इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि नदी के उस पार शराब फ़ैक्ट्री है जिसके कारण उसमें कई तरह के अपशिष्ट पदार्थ छोड़े जाते हैं. अगर वो पानी जानवरों के बाड़े में हम रखें और कहीं जानवर उस पानी को पी लिए तो उनकी मौत हो सकती है. इसलिए सिर्फ गर्मी से बचाने के लिए उन पर समय-समय पर पानी का छिड़काव करते हैं.