रायपुर। नए साल पर राजधानी के युवा थोक दवा व्यवसायी फार्मासिस्ट सूरज प्रताप सिंह परिहार (32 वर्ष) ने प्रेरणादायी शुरुआत की है. सूरज ने अपना नेत्रदान और देह दान किया है. उसने संकल्प लिया है वो कम से कम 100 लोगों को आर्गन डोनेट करने के लिए प्रेरित करेगा.

सूरज प्रताप सिंह ने बताया कि रायपुर मेडिकल कॉलेज के एनाटामी डिपार्टमेंट में पहले देह दान किया, फिर मेकाहारा के आपथेल्मिक डिपार्टमेंट में जाकर नेत्रदान किया. उनका मानना है कि एक डॉक्टर अपने जीवन काल में गंभीर बीमारियों से इलाज कर हजारों लोगों की जान बचाते है. यदि उनकी पढ़ाई के लिए उनके शरीर का उपयोग किया जायगा, तो सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि सभी बॉडी आर्गन डोनेसन में नेत्र दान सबसे आसान प्रक्रिया है.

उन्होंने लोगों से अपील की है कि वो अपना नेत्र दान करे. मरकर भी जीवित रहने का ये सबसे आसान तरीका है. एक सर्वे में पाया गया है की हर वर्ष पूरे भारत में 5 से 7 लाख लोगों की मौत सिर्फ इस वजह से हो जाती है, क्योकि उन्हें सही समय पर आर्गन डोनर नहीं मिल पाता है. मौत के बाद शरीर का कोई काम नहीं रह जाता, लेकिन आर्गन डोनेट कर मौत के बाद या ब्रेन डेड होने के बाद सही समय पर बॉडी आर्गन मृत शरीर से निकाल लिया जाए, तो वो दूसरे व्यक्ति के शारीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. अब हमें मृत शरीर से भावनात्मक जुड़ाव को कम करते हुए आर्गन डोनेशन के बारे में सोचना होगा.