शिवम मिश्रा,रायपुर– एमएमआई हॉस्पीटल के वर्तमान प्रबंधकों को पूर्व चेयरमैन सुुरेश गोयल द्वारा धमकी दिये जाने के मामले में पुलिस की जांच अब तक सिफर ही है. सुरेश गोयल द्वारा प्रबंधकों को खुले आम धमकी देने के बाद इस मामले में हॉस्पीटल के वर्तमान चेयरमैन महेन्द्र धाड़ीवाल ने टिकरापारा थाने में 27 अगस्त को लिखित शिकायत की थी. शिकायत के बाद पुलिस ने मामले में जांच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था,लेकिन शिकायत करने के करीब डेढ़ महीने बाद भी पुलिस ने अब तक मामले में कोई भी जांच नहीं की है.
इस बारे में टिकरापारा थाने के थानेदार याकूब मेनन ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि “मुझे अभी ध्यान नहीं है,मेरी तबियत खराब हो गई थी.मुझे कोरोना हो गया था.आगे क्या हुआ है,मैं दिखवाता हूं”. जाहिर है सुरेश गोयल की रसूख के चलते इस मामले में जांच करने में पुुलिस के पसीने छूट रहें हैं,जबकि सुरेश गोयल द्वारा दी गई धमकी का आडियो भी एमएमआई प्रबंधन ने पुलिस को मुहैया कराया था. रायपुर के एसएसपी अजय यादव ने भी इस मामले में सवाल किये जाने पर सवाल को टाल दिया.
जानिये क्या था मामला
एमएमआई प्रबंधन के मुताबिक पूर्व चेयरमेन सुरेश गोयल ने मौजूदा कोषाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता को फोन कर धमकी दी,जिसे प्रदीप गुप्ता ने रिकार्ड कर लिया.इस आडियो में सुरेश गोयल कह रहे हैं कि वहां (एमएमआई) में बैठे लोग, गुंडे हैं.”दो चार नर्सों के साथ फोटो आ जाएगी, तब संभालना मुश्किल हो जाएगा. मुझे ये चीजें चुभती हैं”. बातचीत के आगे सुरेश गोयल यह कहते हैं कि, ” बोलो सेठ जी को, किसी के साथ फोटो आ ही जाएगी, फिर जवाब देते घूमते रहना”.
एमएमआई हाॅस्पिटल प्रबंधन की ओर से पूर्व चेयरमेन सुरेश गोयल की ओर से दी गई इस धमकी की शिकायत 27 अगस्त 2020 को टिकरापारा थाने में की गई थी. थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद संस्थापक सदस्य महेंद्र धाड़ीवाल ने अपने बयान में यह कहा था कि- पूर्व चेयरमेन दादागिरी पर उतर आए हैं. प्रबंधन से जुड़े लोगों को फोन कर धमकी दी जा रही है कि यदि बाउंसर नहीं हटाए गए, तो नर्सों के जरिए उन पर छेड़छाड़ के झूठे आरोप गढ़ दिए जाएंगे.धाड़ीवाल ने कहा कि चूंकि प्रबंधन का दायित्व अब पूर्व चेयरमेन के हाथों नहीं हैं, ऐसे में उनका दखल दिया जाना औचित्यहीन है. धाड़ीवाल ने अपने बयान में यह भी कहा था कि सुरक्षा के लिहाज से दो शिफ्टों में दो-दो बाउंसर रखे गए हैं. पहले जब प्रबंधन का दायित्व पूर्व चेयरमेन के पास था, तब भी बाउंसरों की तैनाती की गई थी. हमे इस बात की आशंका है कि विवाद की वजह से कहीं हाॅस्पीटल में तोड़फोड़ ना कर दिया जाए. शाम छह बजे के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ब्लाॅक में कोई नहीं होता. किसी तरह की एक्टिविटी नहीं होती. ऐसे में सुरक्षा कारणों के लिए बाउंसरों की तैनाती जरूरी है.
महेंद्र धाड़ीवाल ने सुरेश गोयल की कलई खोलते हुए अपने बयान में तब यह भी बताया था कि पूरी कहानी रूप और रूपयों की है. सवाल उठाने वाले लोग सब जगहों से हारकर थक गए हैं. इसलिए इस तरह से डराना-धमकाना कर रहे हैं. अश्लील टिप्पणी कर फंसाने की धमकी दे रहे हैं. हाॅस्पीटल का प्रबंधन जब तक हाथ में था, तब तक रूतबा था, सैकड़ों लोग फोन करते थे. वह प्रभाव खत्म हो गया है, इसलिए डराकर भय दिखाने की कोशिश की जाती है.