शिवम मिश्रा, रायपुर। सीमा में भारी तनाव था, भारत और पाकिस्तान के बीच जंग की स्थिति थी। भारी गोलीबारी चल रही थी, युद्ध के हालात थे, लेकिन इसी बीच एक युद्ध रायपुर पुलिस भी लड़ रही थी। सीमा पर तो नहीं लेकिन सीम के नजदीक, यहाँ मसला अंतरराष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतरराज्यीय था। प्रकरण आतंकवादियों से नहीं लुटेरों से जुड़ा था। बस प्रकरण में एक चीज जो सामान्य थी, वो ब्लैकआउट थी।

भारत और पाकिस्तान युद्ध के बीच अंधेरे में रायपुर पुलिस की टीम फंसी हुई थी। जगह थी राजस्थान का श्रीडूंगरगढ़, लेकिन इस प्रकरण में दिलचस्प ब्लैकआउट नहीं, उसके आगे की भी एक कहानी है, जिसमें लूट की घटना सबसे बड़ी निशानी है। मामला राजधानी के सबसे पॉश इलाका समता कॉलोनी और इस कॉलोनी का मुख्य मोहल्ला नगर निगम कॉलोनी का है।
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यह घटना इलेक्ट्रॉनिक सामानों के मार्केटिंग एजेंट के साथ हुई लूट की है। बीते 30 अप्रैल की शाम मार्केटिंग एजेंट अपनी दोपहिया एक्टिवा में लाखों रुपये से भरे बैग को एम.जी. रोड से अपने घर लेकर आ रहा था। इसी बीच समता कॉलोनी की नगर निगम कॉलोनी में तीन नकाबपोश अंजान लोगों ने एजेंट के पीछे से आकर उसे पहले गिरा दिया, फिर उस पर ईंट से वार कर लाखों रुपए से भरा बैग लूटकर फरार हो गए। लूट के बाद मामला इलाके के आजाद चौक थाना पहुंचता है। पुलिस टीम मौके का मुआयना करती है, आसपास लोगों से पूछताछ की जाती है और फिर पूरे घटना की रिपोर्ट लिखी जाती है, जिसमें केवल 4.40 हज़ार रुपये की लूट का उल्लेख किया जाता है।
इसके बाद पूरे मामले की तफ्तीश शुरू होती है। अज्ञात आरोपियों की धरपकड़ के लिए कई टीमें गठित की जाती हैं। पूरे इलाके के लोगों से पूछताछ के बाद सीसीटीवी फुटेज खंगाला जाता है। इसी बीच पुलिस को घटना के तरीके और मुखबिरों से बाहरी गिरोह की जानकारी मिल जाती है।
पुलिस टीम तमाम तकनीकी विश्लेषण कर लूट के एक आरोपी को चिन्हित कर लेती है। आरोपी राकेश भार्गव उर्फ कालू को राजस्थान के श्रीडूंगरगढ़ पर लोकेट किया गया और पुलिस की बड़ी टीम तत्काल राजस्थान के लिए रवाना हो गई। पुलिस टीम मुख्य लुटेरे के बेहद करीब थी, लेकिन युद्ध का ब्लैकआउट उनके लिए बड़ी चुनौती थी। चार दिनों का कैंप कर जैसे-तैसे आरोपी राकेश भार्गव को पकड़ा गया।
आरोपी ने पूछताछ में ही अन्य लुटेरे साथी गुनानंद प्रजापति और रामलाल के साथ मिलकर घटना को अंजाम देना स्वीकार कर लिया। लुटेरे ने पूछताछ में बताया कि राजस्थान निवासी योगेश नाम के व्यक्ति ने लुटेरों को हायर किया था। एलआर योगेश को रायपुर के भवानी शंकर ने लूट की सुपारी दी थी।

पुलिस लुटेरों तक पहुंचती है। लेकिन हुआ ऐसा कि 4 लाख 40 हज़ार की ही लूट के मामले में पुलिस 15 लाख रुपए नकद और गाड़ी, मोबाइल- कुल मिलाकर 17 लाख रुपए का मशरूका जब्त करती है।
जानकारी के मुताबिक लुटेरों ने स्वीकार किया कि लाखों रुपए से भरे बैग में 4.40 हज़ार नहीं, 15 लाख रुपए नकद थे। लेकिन सवाल यही उठ रहा है कि शिकायत दर्ज कराने वाले मार्केटिंग एजेंट के बैग में जब पंद्रह लाख रुपए थे, तो एफआईआर में 4 लाख रुपए की लूट क्यों दर्ज की गई? जब वरिष्ठ अधिकारी लूट की जाँच में जुटे, तो लाख की रकम कम कैसे की गई? या फिर राजधानी में बड़ी लूट को दबाने की कोशिश की गई? हालांकि इन सवालों का जवाब तो सिर्फ पुलिस के पास है। फिलहाल इस पर पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है।
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