सुप्रिया पांडे,रायपुर। कोरोना महामारी के दौर में सबसे ज्यादा परेशानी कुलियों को हुई है. ट्रेनों के इंतजार में कुलियों की जिंदगी की गाड़ी बेपटरी हो गई है. जब तक पटरियों पर ट्रेन दौड़ रही थी, तब तक इनकी आजीविका चल रही थी, लेकिन अब ब्रेक लग गया है. इसलिए कुलियों को अपने परिवार का पालन-पोषण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसी तरह सेठ-साहूकारों से उधारी के पैसे लेकर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. सरकार की तरफ से इन्हें किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद भी नहीं मिल रही है.

राजधानी रायपुर में पिछले 5 महीने से कुलियों की एक पैसे की भी कमाई नहीं हुई है. कम ट्रेन चलने की वजह से कोरोना के डर से यात्रियों ने भी दूरी बना ली है. यदि कोई यात्री अपने साथ सामान लाता भी है, तो महामारी के डर से कुली से सामान नहीं उठवाता. रायपुर रेलवे स्टेशन में करीब 112 कुली काम करते हैं. जिसमें से अभी भी रोजाना करीब 60 कुली रेलवे स्टेशन में काम के इंतजार में जाकर बैठे रहते है. कहीं कोई काम मिल जाए, लेकिन उनके हाथ सिर्फ निराशा ही लगती है और खाली हाथ घर लौटते हैं.

रेलवे कुली संघ के अध्यक्ष धनीराम साहू कहते हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, तब से हम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. रायपुर रेलवे स्टेशन में 112 कुली है. जिसमें से 50 से 60 लोग काम के इंतजार में आते हैं. कुछ लोग दूर दराज से है इसलिए नहीं आते हैं. हम लोगों की स्थिति ऐसी हो गई है कि साहूकार और सेठ से उधार लेकर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. हम सरकार से यह मांग करना चाहते है कि हमें चतुर्थ श्रेणी का दर्जा दिया जाए, क्योंकि रेलवे स्टेशन पर ज्यादा ट्रेन नहीं चल रही है. इस वजह से कुलियों के पास कोई काम नहीं बचा है. अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक ढंग से नहीं कर पा रहे है.

बता दें कि इस समय रायपुर रेलवे स्टेशन में केवल 4 ट्रेनें ही चलती हैं. जिसमें राजधानी एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस, हावड़ा मुंबई और हावड़ा अहमदाबाद शामिल है. इसके अलावा और कोई भी यात्री ट्रेनों का संचालन नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि ट्रेनों के नहीं चलते से कुलियों का रोजगार छिन गया है.