सत्या राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर में सफाई व्यवस्था पर संकट मंडरा रहा है। नगर पालिका निगम के 3300 से अधिक सफाई कर्मचारियों ने लंबित वेतन भुगतान न होने के कारण 14 अक्टूबर से काम बंद करने का ऐलान किया है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर 13 अक्टूबर तक भुगतान नहीं किया गया, तो शहर के 70 वार्डों में काम करने वाले सभी सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे।

बता दें कि सफाई कर्मचारी अगर हड़ताल पर गए तो राजधानी में रोजाना निकलने वाले 400-500 टन कचरे का प्रबंधन प्रभावित होगा, जिससे सड़कों पर गंदगी का अंबार लग सकता है।
3 महीनें से नहीं मिला वेतन, 15 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया
राजधानी में सफाई कर्मचारियों की नाराजगी का मुख्य कारण नगर निगम द्वारा पिछले तीन महीनों से वेतन भुगतान में देरी है। कुल लगभग 15 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है, जिसमें प्रति माह करीब 5 करोड़ रुपये का हिसाब आता है। 27 ठेकेदारों के माध्यम से चलाए जा रहे इन सफाई कार्यों में कर्मचारी लंबे समय से परेशान हैं। एक सफाई कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम शहर को साफ रखने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन दिवाली जैसे पर्व पर खाली हाथ रहने की नौबत आ गई है। क्या हमारा परिवार भूखा रहेगा?”

नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि फंड की कमी के कारण भुगतान में देरी हो रही है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “साल भर का बजट निर्धारित होता है, लेकिन केंद्र और राज्य स्तर से अनुदान में विलंब के कारण समस्या हो रही है। हम जल्द ही समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं।” कर्मचारी संगठनों ने सवाल उठाया है कि जब अन्य विभागों में समय पर भुगतान हो रहा है, तो सफाई कर्मचारियों का क्यों नहीं।
महापौर मीनल चौबे ने कहा, “हम कर्मचारियों से बातचीत कर रहे हैं। दिवाली से पहले कम से कम दो महीने का भुगतान सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। शहर की सफाई व्यवस्था को बाधित नहीं होने देंगे।” हालांकि, कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर भुगतान न हुआ, तो हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है, जिसका असर पूरे प्रदेश पर पड़ सकता है।
नागरिकों में भी चिंता का माहौल है। स्थानीय निवासी विकास साहू और भावना शर्मा ने कहा, “शहर साफ-सुथरा रहना चाहिए, लेकिन कर्मचारियों की मेहनत और हक का सम्मान भी जरूरी है। प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए।” विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर सफाई ठप होने से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकता है।
गौरतलब है कि यह अल्टीमेटम केवल रायपुर के लिए नहीं बल्कि पूरे देश में सफाई कर्मचारियों की स्थिति को उजागर करता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का कार्यकाल 2028 तक बढ़ाया है, लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार की दरकार है। फिलहाल, सभी की निगाहें 13 अक्टूबर पर टिकी हैं कि क्या राजधानी दिवाली की रोशनी में साफ-सुथरा शहर देख पाएगी या गंदगी की छाया में त्योहार मनाना पड़ेगा?
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