रायपुर- जिस वक्त राज्य में पुलिस कर्मियों और उनके परिजनों के आंदोलन को लेकर जमकर चर्चाएं चल रही है, ठीक उस वक्त पिछले दिनों हुई छत्तीसगढ़ पुलिस केंद्रीय कल्याण समिति एवं परामर्शदात्री परिषद की वो सिफारिशी पत्र सामने आई है, जिसमें पुलिस कल्याण के लिए रायपुर एसएसपी अमरेश मिश्रा की ओर से कई अहम सुझाव पुलिस मुख्यालय को दिए गए हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुलिस कर्मियों का यह आंदोलन किसी षडयंत्र का हिस्सा तो नहीं है? यदि यह षडयंत्र है, तो इस नजरिए से सरकार को क्या जांच नहीं की  जानी चाहिए?

दरअसल मई में डीजीपी की ओर से सभी जिलों के एसपी को यह निर्देश दिया गया था कि अपने-अपने जिलों में परामर्शदात्री परिषद की बैठक कराई जाए और बैठक के सुझावों से मुख्यालय को अवगत कराया जाए. इस निर्देश के बाद रायपुर जिले की बैठक 15 जून को बुलाई गई थी. इस बैठक में परिषद के सदस्यों की ओर से मिले सुझावों को आला अधिकारियों को भेज दिया गया है. इन सुझावों पर शासन स्तर पर फैसला लिया जाना है. सूत्र बताते हैं कि सरकार पुलिस कर्मियों के कल्याण से जुड़ी मांगों पर विचार कर रही थी. इसके लिए ही सभी जिलों में परामर्श दात्री परिषद की बैठक बुलाए जाने को लेकर निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन जिस तरह से पुलिस कर्मी और उनके परिजनों की ओर से आंदोलन छेड़ने का जिक्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. इसके पीछे गंभीर षडयंत्र हो सकता है.

पुलिस मुख्यालय में चल रही चर्चाओं में आला अधिकारियों की ओर से यह कहा गया है कि पुलिस का इस तरह के किसी आंदोलन से जुड़ना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सरकार की ओर से पुलिस को विशेष संरक्षण हैं. यही वजह है कि पुलिस के प्रति सरकार की उम्मीदें भी ज्यादा होती है, लिहाजा आंदोलन को लेकर चल रही खबरों के बीच यह बात सामने आ रही है कि पुलिस कल्याण के लिए सरकार की ओर भेजे गए सुझावों पर सीधा असर पड़ सकता है. पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी बताते हैं कि पुलिस कल्याण के लिए विश्वरंजन कमेटी की रिपोर्ट भी सरकार के संज्ञान में हैं.

रायपुर एसएसपी अमरेश मिश्रा की ओर से भेजे गए सुझावों में क्या शामिल है?

गौरतलब है कि पुलिस कर्मियों और उनके परिजनों की ओर से जिन मुद्दों को लेकर लामबंद होने की खबर हैं, उन्हीं तमाम मुद्दों का जिक्र आंदोलन के आगाज के पहले परामर्शदात्री परिषद की बैठक में किया जा चुका है. उनमें से प्रमुख मुद्दों में-

  • एक वाहन के लिए एक ही ड्राइवर की स्वीकृति है, जबकि कार्य की अधिकता के कारण प्रत्येक वाहन में दो ड्राइवर आवश्यक है. अतः प्रत्येक वाहन के लिए अतिरिक्त आरक्षक का पद स्वीकृत किया जाना चाहिए. अन्यथा थानों के लिए स्वीकृति आरक्षक के पदों में से एक-एक पद आरक्षक के रूप में युक्तियुक्त किया जा सकता है. आरक्षक की भर्ती के लिए शारीरिक नापतौल एवं दक्षता के मापदंड आरक्षक से कम रखना चाहिए और आईटीआई से डीजल मैकेनिक या मोटर मैकेनिक ट्रेड से पास की अनिवार्यता होनी चाहिए.
  • बुनियादी प्रशिक्षण में वाहन चालक कार्य को एक विषय के रूप में सम्मिलित किया जावें, जिससे इकाई के समस्त कार्यपालिक बल को वाहन चालन कार्य में दक्षता प्राप्त हो सके.
  • पुलिस विभाग में अधिकारी- कर्मचारी एक बार बुनियादी प्रशिक्षण के पश्चात् 30-35 वर्ष तक सेवा करते रहते है, जबकि इस दौरान समाज और अपराध व अपराधिक प्रवृत्तियों में बहुत बदलाव आ जाता है. अतः प्रत्येक पदोन्नति के लिये कोर्स तैयार करना चाहिये एवं अनिवार्य कोर्स में पास होना पदोन्नति की अनिवार्य शर्त होनी चाहिए.
  • वर्तमान समय में प्रत्येक पुलिस लाईन में वस्त्रागार के अलावा एक उपकरण शाखा अत्यावश्यक हैं, जहां आधुनिक उपकरणों का उचित रखरखाव किया जा सके.
  • आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों की जीवन अवधि निर्धारित नहीं होने के कारण कण्डम घोषित करने में असुविधा होती है. अतः समस्त प्रकार के उपकरणों की जीवन अवधि निर्धारित किया जाना उचित होगा.
  • सभी जिलों में पुलिस विभाग के कर्मचारी के आवास का क्षेत्रफल को बढ़ाकर आरक्षक से प्रधान आरक्षक तक के अधिकारियों के लिए एच-टाइप के मकान जिसमें 589 वर्गफीट के स्थान पर 739 वर्गफीट के एच टाइप मकान एवं सहायक उर निरीक्षक तक के अधिकारियों के लिए जी टाइप के मकान जिसमें 882 वर्गफीट के स्थान पर 921 वर्गफीट के मकान की व्यवस्था आवश्यक रूप से की जाए.
  • वर्तमान में न्यायालय में मुल्जिम पेशी हेतु बल की कमी के मद्देनजर न्यायालय में शेषन ट्रायल के मुल्जिमों की पेशी वीडियो काॅफ्रेन्सिंग के जरिये किया जाना उचित होगा.
  • वर्तमान में मुल्जिम पेशी के दौरान शहर से बाहर पेशी हेतु मुल्जिम को ले जाने के दौरान रास्ते में होने वाले आकस्मिक व्यय जिसका भुगतान पुलिस गार्ड को करना पड़ता है. उचित मुल्जिम खुराक भत्ता नगद दिये जाने का प्रावधान किया जाना चाहिये.
  • शहरी/ग्रामीण/यातायात थानों में पदस्थ प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारियों को ईंधन के रूप में प्रतिमाह 40 लीटर पेट्रोल/डीजल प्रदाय किया जाना चाहिये.
  • वर्तमान में पुलिस विभाग के कार्यपालिक बल के पदों, ड्यूटी के स्वरूप, समय अंतराल व कार्यों की अधिकता को दृष्टिगत रखते हुये इनके वेतन एवं भत्तों में निम्नानुसार बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है.
  •  प्रत्येक कार्यपालिक बल को प्रतिमाह 500=00 रूपये मोबाईल भत्ता दिया जाना चाहिये.
  • रायपुर जिला-राज्य की राजधानी होने कारण अतिविशिष्ट/विशिष्ट/गणमान्य व्यक्तियों के लगातार आगमन/अतिसंवेदनशील संस्थानों की सुरक्षा/जनसंख्या भार होने की वजह से इकाई में पदस्थ अधि./कर्म. को सुरक्षा/ड्यूटी का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ता है. अतएव इकाई में पदस्थ समस्त अधि0/कर्मचारियों को जिस प्रकार नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सल भत्ता देय है उसी प्रकार राजधानी भत्ता प्रदाय किया जाना चाहिये.
  • राजधानी के प्रत्येक थाने में एक 50 व्यक्तियों की क्षमता वाले मूलभूत सुविधाओं से युक्त ट्रांजिट हाॅल (पक्का बैरक) का निर्माण किया जाना चाहिये.
  • पुलिस ट्रांजिट मेस के सदस्यता शुल्क प्रति वर्ष लिया जा रहा है, जिसे संशोधित कर पूरे सेवाकाल में एक बार लिया जाना चाहिये.
  • पुलिस विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों के लिये नया रायपुर में आवासीय प्रयोजन के लिये (मंत्रालयीन अधि0/कर्म0 तरह) रियायती दरों पर विकसित भूखण्ड उपलब्ध कराने मुख्यालय स्तर पर पहल किया जाना चाहिये.
  • पुलिस रेग्युलेशन में आवश्यक संशोधन एवं नवीनीकरण किये जाने चाहिये रेग्युलेशन के कुछ अनावश्यक पैराग्राफ जैसे-घोडे़ के संचय, संगीन का प्रयोग को समाप्त किये जाने चाहिये एवं मुल्जिम पेशी एवं उसमें लगाये जाने वाले गार्ड इत्यादी से संबंधित संशोधन होना चाहिये.
  • पुलिस विभाग में दिये जाने वाले निःशुल्क भोजन मद हेतु स्वीकृत राशि वर्तमान में 75 रूपये (नास्ता 15 भोजन 30 रात्रि भोजन 30) को बढ़ाकर क्रमशः (नास्ता 30 भोजन 80 रात्रि भोजन 80) रूपये किया जाना चाहिये.
  • वर्तमान में कई कर्मचारी जो दुरस्थ थाने में तैनात रहते है या किसी विशेष ड्यूटी के कारण समय पर रक्षित केन्द्र आकर वर्दी का नाप देने में अक्षम होते है। इस कारण पुलिस विभाग में वर्तमान में कर्मचारियों को प्रदाय किये जाने वाले (वेबआईटम को छोड़कर) गणवेश (क्लाथ) की व्यवस्था बंद किये जाना चाहिये। कर्मचारियों के खाते में सीधे गणवेश की राशि स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिये। इससेे उचित नाप के वर्दी कर्मचारियों को मिल सकेगी.
  • पुलिस विभाग में अलग-अलग कार्यांें के लिए ट्रेडमेन भर्ती (जैसे-स्वीपर, नाई, धोबी, मोची), कम्प्यूटर आपरेटर एवं वाहन चालक की नियमित भर्ती होना चाहिये.
  •  राज्य के सभी जिलों में पुलिस विभाग के कर्मचारियों के परिवार के बच्चों के शिक्षा हेतु केन्द्रीय विद्यालय एवं रेल्वे स्कूल के तर्ज पर रेंज स्तर पर पुलिस स्कूल की स्थापना होनी चाहिये एवं पुलिस विभाग के कर्मचारियों के होनहार बच्चों के लिए विशेष छात्रवृति की व्यवस्था हो.
  • पुलिस विभाग में किसी विशेष कानून व्यवस्था ड्यूटी एवं व्ही.व्ही.आई.पी/व्ही.आई.पी. ड्यूटी के दौरान दिगर जिलों एवं बाहर से आये हुये बल को ठहराने के लिए समुचित निःशुल्क व्यवस्था हेतु प्रत्येक जिलों में पुलिस सामुदायिक भवन का निर्माण कराया जाना चाहिये.  जहाॅ बिजली (लाईट), पानी एवं शौचालय की उचित व्यवस्था होनी चाहिये.
  • अधिकारी- कर्मचारी को साप्ताहिक/पाक्षिक अवकाश प्रदाय किया जाना चाहिये.
  • सभी स्थाई गार्ड को ठहरने हेतु पक्का बैरक पलंग, बिजली, पानी की सुविधा होना चाहिये.
  • राजधानी रायपुर के थानों में पदस्थ अधि0/कर्मचारियों की कानून व्यवस्था ड्यूटी मे लगने से अपराधों की विवेचना नहीं हो पाने से अपराधों की विवेचना लंबित रहती है। अतः कानून व्यवस्था ड्यूटी हेतु पृथक से बल उपलब्ध कराया जाना चाहिये.
  • जिला रायपुर में कार्यालयीन स्टाफ (अनुसचिवीय बल) की स्वीकृति जब जिला पुलिस बल कर्मचारियों की संख्या 500 थी तब की है. वर्तमान में 3200 अधि0/कर्मचारी इकाई में पदस्थ हैं. अतः कार्यालयीन कार्य सुचारू रूप से संपादन हेतु कार्यालयीन स्टाफ (अनुसचिवीय बल) में वृद्धि की आवश्यकता है.​