सुप्रिया पांडे,रायपुर। अक्सर किन्नरों को समाज के हर वर्ग से दुत्कार दिया जाता है. उन्हें नीचा दिखाया जाता है. लेकिन अब किन्नर आत्मनिर्भर बनने की ओर आगे बढ़ रही हैं. छत्तीसगढ़ में किन्नरों की शारीरिक और मानसिक स्थिति ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे किन्नर एक नई दिशा में काम कर सकें.

रायपुर में सरोना के गरीमा गृह में किन्नरों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है, जहां उन्हें रोज जल्दी उठाकर योगा कराया जाता है. उन्हें अपने करियर पर ध्यान देने की बात कही जाती है. कई किन्नर ऐसे हैं, जिन्होंने अपने दम पर कुछ करके भी दिखाया है. उनका उदाहरण भी बाकी निराश किन्नरों के सामने पेश किया जाता है. उन्हें एक नई राह दिखाई जा रही है. सेंटर में मौजूद किन्नरों को उनके रूचि के मुताबिक काम दिया जा रहा है, जहां उनका मन लगा रहे और निराश किन्नरों की मानसिक स्थितियां भी ठीक रहे.

किन्नरों का बढ़ाया जा रहा मनोबल

मितवा ग्रुप की अध्यक्ष विद्या राजपूत ने बताया कि सेंटर बनने के बाद किन्नरों का मनोबल बढ़ रहा है. भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास से यह सफल हो सका है. सेंटर में किन्नरों की मानसिक और शारीरिक स्थिति का ध्यान रखा जा रहा है. सप्ताह में एक बार डॉक्टर आते हैं. किन्नरों की मानसिक और शारीरिक स्थितियों की जांच करते हैं. इस सेंटर के माध्यम से किन्नरों को काफी मदद मिली है. जिससे उन्हें एक नई दिशा मिलेगी.

सेंटर में मौजूद हैं 25 किन्नर

मितवा ग्रुप की सचिव रवीना बरिहा ने कहा कि उनके इस सेंटर में लगभग 25 किन्नर है. जिनकी देख रेख की जा रही है. उनके खाने पीने का खर्चा भी वहन किया जा रहा है. साथ ही उन्हें कई तरह की सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है.

इसे भी पढ़ें-

पुलिस में भी हो रहे भर्ती

बता दें कि देश भर में कई ऐसे किन्नर हैं, जो आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. कोई खुद का अपना व्यवसाय खोल रहा है, तो कोई सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है. वहीं छत्तीसगढ़, ओडिशा समेत कई राज्य पुलिस विभाग में किन्नरों की भर्ती की इजाजत भी दे दी है. हाल ही में प्रदेश में कई ट्रांसजेंडरों की पुलिस में भर्ती भी हुई थी.

read more- Corona Horror: US Administration rejects India’s plea to export vaccine’s raw material