प्रियंका साहू, रायपुर। शहर के तालाबों में सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए. लेकिन इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. इन दिनों राजधानी के सिद्धार्थ चौक स्थित नरैय्या तालाब अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. सरकारें जितना इसे बेहतर बनाने का दावा करतीं हैं, यह उतना ही बदहाल होता जा रहा है. बीते 10 वर्षों में इस तालाब पर लगभग 6 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है, लेकिन हर साल इसकी स्थिति बदतर होती जा रही है.

गार्डन के पीछे स्थित कॉलोनी से नाली का गंदा पानी सीधे गार्डन के अंदर तालाब में छोड़ा जाता है. सालों पहले गार्डन के बाउंड्री वॉल से लगाकर नाला बनाया गया था, जिससे गंदे पानी की निकासी हो जाती थी, लेकिन वह भी धंस गया. इसके चलते नाली का पानी सीवरेज के माध्यम से सीधे तालाब में जाता है. इसके चलते वहां का वातावरण दूषित और बदबू से भर जाता है.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का काम सालों से अधूरा
रायपुर स्मार्ट सिटी नाली के गंदे पानी को उपचारित कर (ट्रीटमेंट कर) उसे तालाब में छोड़ने के लिए यहां 3.78 करोड़ की लागत से 1 MLD का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए सिविल वर्क 4 साल पहले शुरू किया गया था, जो लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक यहां STP की मशीनें नहीं लगाई जा सकी हैं. इसके चलते तालाब में लगातार नाली का गंदा पानी भर रहा है. STP लगने से यहां 10 लाख लीटर गंदा पानी हर दिन साफ हो सकेगा. लेकिन काम पूरा नहीं होने से आलम यह है कि गार्डन के चपरासी के निवास में लगा बोर भी दूषित और काला पानी देता है.


3 भागों में बंटा है नरैय्या तालाब
बता दें, नरैय्या तालाब लगभग 10 एकड़ में फैला हुआ है और तीन भागों में बंटा हुआ है. सड़क से लगे भाग को स्थानीय लोग दैनिक क्रियाकलाप (नहाने-धोने) के लिए इस्तेमाल करते हैं. वहीं तालाब के मध्य और अंतिम भाग को मिलाकर गार्डन का रूप दिया जा रहा है. लेकिन अंदर जाते ही जलकुंभी पूरे तालाब में फैले नजर आते हैं. इतना ही नहीं, तालाब के अंतिम भाग में कचरे का ऐसा अंबार है, जिसे देखकर लगता है कि इसे कचरा डंपिंग जोन बना दिया गया हो.
2014 से अब-तक करोड़ों खर्च
नरैय्या तालाब में के सौंदर्यीकरण और संरक्षण के लिए सबसे पहले 2.80 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. आकर्षक लाइटिंग और तालाबों के बीच बने टापू का सौंदर्यीकरण किया गया था. जो अब बर्बाद हो चुका है. इसके बाद तालाब पर स्मार्ट सिटी ने भी लगभग 3 करोड़ खर्च किए थे. इस प्रकार बीते 10 साल में लगभग 6 करोड़ रुपए नरैय्या तालाब पर खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन यहां स्थिति में सुधार कहीं नहीं है.

नशाखोरी का अड्डा
तालाब के इर्द-गिर्द (Surroundings) में पाथ-वे पर कटे हुए सूखे पेड़ गिरे हुए हैं. इसके अलावा पूरे पाथ-वे पर पेड़ों के सूखे कचरे इकट्ठे कर छोड़ दिए गए हैं. यहां तक कि गार्डन में एक भी जगह पर कूड़ादान नहीं लगाया गया है. तालाबों के किनारे जगह-जगह पर शराब की बोतलें, प्लास्टिक गिलास, पानी पाउच की झिल्लियां, और ज्वाइंट बनाने वाले रोल-पेपर के डिब्बे भी दिखाई देते हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि यह तालाब नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है.

गार्डन में फैली है भ्रष्टाचार की गंध
इस तालाब के संरक्षण और सौंदर्यीकरण की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार आवाज उठाई, कई बार अलग-अलग अखबारों और मीडिया चैनलों ने हकीकत से पर्दा उठाया, जिसके बाद बीते 5-6 सालों में पार्षद से लेकर महापौर आए और गए. तालाब और वहां के वातावरण को बेहतर कराने के दावे किए जाते रहे. लेकिन इसके बाद भी तालाब से केवल भ्रष्टाचार और राजनीति की गंध आती रही और स्थिति बदतर होती रही.

फ्रेश एयर नहीं, बदबू से भरा है वातावरण
स्थानीय लोग इस तालाब के पाथ-वे पर रोज मॉर्निंग वॉक, योगा और एक्सरसाइज करने जाते हैं. इस पाथ-वे से जैसे ही आप अंदर जाते जाएंगे, उतनी ही गंदगी और अव्यवस्था आपको नजर आएगी. बता दें तालाब का तीसरा भाग भी पूरी तरह सूख चुका है. इसमें प्लास्टिक और अन्य कचरों का अंबार लगा हुआ है. पूरे गार्डन में गंदगी के चलते लोगों को यहां बदबू सहन करना पड़ता है.


लगभग 10 करोड़ में संवारने की थी तैयारी
पूर्व महापौर एजाज ढेबर के कार्यकाल में 8 महीने पहले ही तालाब को फिर से साफ-सफाई कर संरक्षित करने के उद्देश्य से नगर-निगम और स्मार्ट सिटी ने 9.98 करोड़ का प्लान तैयार किया था. 7 अक्टूबर 2024 को रायपुर निगम की सामान्य सभा में इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई थी. अब इस पर काम भी शुरू कर दिया गया है. लेकिन स्मार्ट सिटी प्रोजक्ट के नाम पर यहां मौजूद सालों पुराने छाएंदार पेड़ों को काट दिया गया. 6 महीने पहले तक ही इस गार्डन में पेड़ों से हर तरफ हरियाली छाई होती थी. लेकिन गार्डन बनाने के नाम पर सैंकड़ों पेड़ों की बली चढ़ा दी गई.

गार्डन में टॉय-ट्रेन जरूरी या पेड़?
स्थानीय निवासियों ने बताया कि जब उन्होंने पेड़ों की कटाई पर सवाल उठाए, तो जोन कमिश्नर ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस गार्डन में तालाब किनारे टॉय ट्रेन चलाई जाएगी, जिसके लिए पर्याप्त जगह बनाई जा रही है. लेकिन जहां खर्च पहले तालाब और पेड़-पौधों को बचाने और गार्डन को हरा भरा बनाने में की जानी चाहिए थी, उसे छोड़कर बाकी सभी कांक्रिटीकरण के कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं.
विकास के नाम पर विनाश!
स्थानीय निवासियों ने बताया कि वे बीते 12 सालों से रोज यहां आते हैं. नरैय्या तालाब और आस-पास मौजूद पेड़-पौधों से यहां की प्राकृतिक सुंदरता किसी स्वर्ग से कम नहीं लगती थी. लेकिन जितना ही यहां विकास के नाम पर कार्य किए गए, उससे यह जगह साल-दर-साल बदहाल होती गई. उन्होंने कहा कि नशेड़ियों और गंदगी से यहां का वातावरण अब नरक जैसा लगने लगा है. तालाब में पानी नहीं, बल्कि गंदगी पसरी हुई है. इससे वहां से गुजरने पर असहनीय बदबू से घुटन होने लगती है.

पार्षद चुनाव से पहले बनाया गया ओपन जिम
नरैय्या तालाब गार्डन में आने वाले लोगों ने बताया कि वे पार्षद से ओपन जिम की मांग कई सालों से कर रहे थे. जो कि लटकी हुई थी. हलांकि इस साल नगरीय-निकाय-चुनाव से पहले ही यह मांग पूरी की गई है.

बारिश में कैसे होगा स्वच्छ जल संवर्धन?
छत्तीसगढ़ में मानसून की एंट्री हो चुकी है. गर्मी में सूख जाने पर इन तालाबों को आसानी से साफ किया जा सकता था, ताकि बारिश का साफ पानी तालाब में भर सके. लेकिन यहां की स्थिति बिलकुल विपरीत है. अब सोचने वाली बात ये है कि जब सूखे तालाब की सफाई नहीं हो पाई तो बारिश में भला तालाब में जल संवर्धन कैसे होगा ?

सुलभ शौचालय में न पानी न सफाई
गार्डन के एंट्रेंस गेट के पास सुलभ-शौचालय का निर्माण तो कराया गया है. लेकिन यहां नलों से एक बूंद भी पानी नहीं आता. इतना ही नहीं, 30 अप्रैल के बाद से अब तक यहां सफाई भी नहीं की गई है और न ही सुलभ की देखरेख में कोई कर्मचारी उपस्थित रहता है.

जानिए क्या कहते हैं जिम्मेदार:
इस साल 2025 में हुए निगम चुनाव से पहले नरैय्या तालाब जोन 6 में आता था. लेकिन चुनाव के दौरान बदलाव किए गए, जिससे वह जोन क्रमांक 4 में आता है. जबकि चुनाव से पहले ही इसपर काम शुरू कर दिया गया, तो अब यहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कुछ काम जोन क्रमांक 6 से कराए जा रहे हैं, तो कुछ जोन क्रमांक 4 से कराए जा रहे हैं.
सितंबर तक लगाया जाएगी STP
जोन क्रमांक 6 से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अतुल चोपड़ा ने बताया कि STP (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाने का काम सितंबर माह तक पूरा कर लिया जाएगा. काम में देरी को लेकर उन्होंने बताया कि जिस ठेकेदार को काम दिया गया है, उसका एक्सिडेंट होने के चलते वह काम नहीं करवा सका जल्दी. और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते वह काम में लेट-लतीफी कर रहा है. अतुल चोपड़ा ने आगे बताया कि ठेकेदार को 1 महीने में काम में तेजी लाने का अल्टीमेटम दिया गया है. अगर ऐसा नहीं होता, तो आगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.
1 करोड़ के टेंडर में होने वाले कार्य:
उन्होंने बताया कि गार्डन में योगा शेड और गजीबो (Selfie Point) बनकर तैयार हो चुका है. इसके अलावा वहां साउंड सिस्टम्स के साथ जुंबा ट्रैक भी बनाया जा रहा है. टॉय-ट्रेन का भी ऑर्डर दे दिया गया है, जो कि पटरी पर नहीं, बल्कि सीथे वॉक वे पर चक्कों से चलेगी. इसके साथ ही गार्डन में धीरे-धीरे लाइटिंग के कामों को भी ठीक किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन कामों के लिए 1 करोड़ का टेंडर दिया गया है. इनके अलावा गार्डन और तालाबों की सफाई का काम जोन क्रमांक 4 से कराया जा रहा है.



एक करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट वर्क अलग
वहीं अंडर 15 प्रोजेक्ट को लीड कर रहे अंशुल शर्मा ने बताया कि गार्डन में बटरफ्लाई पार्क, बाउंड्री वॉल, पाथ-वे और वॉक-वे पर काम जारी है.
कर्मचारी रोज करते हैं सफाई: निगम कमिश्नर
इस पूरे मामले में निगम कमिश्नर विश्वदीप ने कहा कि गंदगी की सूचना मिली है हमें, हम वहां लगातार साफ-सफाई से लेकर पार्क बनाने और प्रोजेक्ट से जुड़ी अन्य सुविधाओं पर काम कर रहे हैं. जल्द-से-जल्द काम पूरा किया जाएगा. हालांकि लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने पड़ताल में पाया कि केवल कुछ दिनों तक जलकुंभी की सफाई की गई है. लेकिन अन्य जगहों पर सफाई का नामों निशान भी नहीं है. समय की सबसे पहली मांग यह थी कि बारिश के पहले-पहले कम से कम तालाबों और पाथ-वे की सफाई की जानी चाहिए, और जल्द से जल्द सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना चाहिए.

अब देखने वाली बात यह है कि केंद्र, राज्य और नगर में BJP की सरकार आने के बाद क्या अब भी इस ऐतिहासिक तालाब का अस्तित्व खत्म होने दिया जाएगा? आखिर कब तक यहां के वातावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जा सकेगा?
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें