रायपुर- बच्चों को सिर्फ औपचारिक शिक्षा ही प्रदान न करें, बल्कि उन्हें संगीत, नाट्य कला, चित्रकारी सहित अन्य विधाओं का भी ज्ञान प्रदान करें. इनसे उनके व्यक्तित्व में निखार आता है. वर्तमान युग प्रतिस्पर्धा का युग है, अब कैरियर सिर्फ किसी स्नातक-स्नातकोत्तर की डिग्री तक सीमित नहीं रह गया है. उन्हें अन्य विधाओं की आवश्यकता होती है, जो उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं के दौरान काम आती है, यहां तक की साक्षात्कार के समय अन्य प्रतिभागियों की अपेक्षा अतिरिक्त योग्यता भी प्रदान करती है. यह बात राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में ग्रीष्मकालीन शिविर के शुभारंभ के अवसर पर कही. उन्होंने आज शाम राजभवन के दरबार हॉल में 15 दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर का दीप प्रज्ज्वलन कर आरंभ किया. यह शिविर राजभवन के कर्मचारियों के बच्चों के लिए आयोजित की गई है. इसमें बच्चों को योग, लिफाफा मेकिंग, राखी मेकिंग, बुके मेकिंग, बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट, रंगोली, अभिनय/ड्रामा और शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
राज्यपाल पटेल ने कहा कि ऐसे शिविर में अपने बच्चों को अवश्य भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों के अवकाश के समय का सदुपयोग होता है और अभिभावकों को बच्चों की रूचि का पता लगता है. छोटी उम्र में सीखने की शक्ति (Grasping Power) अच्छी होती है, जिससे वे नवीन तकनीकों को आसानी से सीख सकते हैं. अधिक उम्र में कुछ नया सीखना कठिन होता है.
राज्यपाल ने कहा कि मैंने मध्यप्रदेश में ऐसे ही शिविर की शुरूआत की थी, तो प्रारंभ में कठिनाई हुई. मगर धीरे-धीरे बच्चे सीखते गए और उत्साह के साथ अधिक संख्या में शामिल हुए. मैंने उन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कार्यक्रम तैयार करने के लिए प्रेरित किया और यह पाया कि बच्चों ने बहुत अच्छी तैयारी की और स्वयं की पहल से लक्ष्य से आगे जाकर देशभक्ति गीत और अन्य कार्यक्रम तैयार किए, प्रस्तुति भी दी. इससे उनके मन के अंदर की झिझक दूर हुई और रचनात्मकता का भी विस्तार हुआ.
राजभवन सबके लिए है : राज्यपाल
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश और हमारे प्रदेश में कई ऐसे स्थान हैं, जहां निर्धन और निम्न मध्यम वर्गीय निवास करते हैं. उनके बच्चे धन की कमी की वजह से अपना शौक पूरा नहीं कर पाते. ऐसी जगहों पर सामाजिक संस्थाओं को उनके लिए ग्रीष्मकालीन शिविर या अन्य ऐसी आयोजन के लिए पहल करनी चाहिए. जिनसे ऐसे परिवारों से भी छुपी हुई प्रतिभाएं सामने आ सकेंगी, जो पूरी दुनिया में हमारे देश का नाम रोशन कर सकती हैं. उन्होंने कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में संचालित वनवासी बच्चों के लिए संचालित विद्यालय और एम्स भोपाल में निर्माण कार्य में कार्यरत श्रमिकों के बच्चों के लिए संचालित विद्यालय की चर्चा करते हुए सराहना की और आमजनों को इनसे प्रेरणा लेने का आग्रह किया.