गाजीपुर। राजा रघुवंशी के मर्डर केस ने देश भर में एक अलग ही चर्चा छेड़ दी। जब से सोनम रघुवंशी मामला सामने आया है। खासकर तब जब वह गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) में दिखाई दीं। तब से हर जगह इस मामले पर चर्चा हो रही है। दर्जनों ऐसे मामलों के बीच यह केस कई सवालों और विरोधाभासी तथ्यों के कारण अलग नज़र आता है। एक ऐसी कहानी, जिसमें हर मोड़ पर सच्चाई से ज्यादा भ्रम है।
दो राज्यों की जांच एजेंसियां आमने सामने
सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब मेघालय पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस के ADG लॉ एंड ऑर्डर अमिताभ यश के बयान को “भ्रामक” करार दिया। यह पहली बार था जब दो राज्यों की जांच एजेंसियां एक ही मामले पर सार्वजनिक रूप से आमने-सामने दिखीं। यहीं से शुरू होते हैं वे सवाल जो आज भी जवाब मांग रहे हैं।
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सोनम के सफर की कोई फुटेज नहीं ?
कहा गया कि CCTV फुटेज ने SIT की मदद की, मगर सोनम का मेघालय से गाज़ीपुर तक 1000 किमी का सफर, जो कि असम, बंगाल और बिहार होते हुए तय हुआ । उस पूरे सफर की कोई फुटेज क्यों नहीं है? इतने राज्यों से गुजरते हुए, सोनम कैसे बच निकलती हैं, बिना किसी पहचान में आए? अगर आत्मसमर्पण ही करना था, तो गाज़ीपुर के एक ढाबे पर क्यों, इंदौर अपने घर में क्यों नहीं?
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स्थानीय गाइड का चौंकाने वाला दावा
राजा रघुवंशी की हत्या के बाद, उनका शव गला कटा हुआ मिला। फोन और चेन गायब — क्या ये मामला सिर्फ अवैध संबंधों का था, या लूट, धोखा या साजिश का हिस्सा? एक स्थानीय गाइड का दावा है कि सोनम और राजा को तीन अन्य लोगों के साथ देखा गया था । लेकिन पुलिस की कहानी इस बिंदु को क्यों नज़रअंदाज़ करती है?
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अवैध संबंध में हत्या” का दावा
पुलिस कहती है कि सभी आरोपियों ने “कबूलनामा” दिया लेकिन इन कबूलनामों की परिस्थितियां और वैधता कितनी भरोसेमंद हैं? ढाबे से भाई को कॉल — क्या यह वाकई सोनम का खुद का फैसला था, या किसी ने निर्देशित किया? और सबसे महत्वपूर्ण — मकसद क्या था? पुलिस “अवैध संबंध में हत्या” का दावा कर रही है। जबकि परिवार इसे अपहरण और बड़ी साजिश बता रहा था।
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सच्चाई और भ्रम के बीच की खींचतान
जो स्पष्ट दिखता है, वह यह है कि यह मामला केवल हत्या का नहीं, बल्कि सच्चाई और भ्रम के बीच की खींचतान का है। बयान बदलते हैं, कहानियां टकराती हैं, CCTV गायब है, और सच्चाई पीछे छूटती जा रही है। यह एक ऐसा रहस्य है, जिसका अंत अभी बाकी है।
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