Rajasthan Election: राजस्थान विधानसभा चुनाव में राजसमंद सांसद और जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी को लगातार पदोन्नति मिल रही है। कुछ समय पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जयपुर में थे तो उन्हें मंच प्रबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसके अलावा दीया कुमारी ने उस महिला प्रतिनिधिमंडल का भी नेतृत्व किया था जो नारी वंदन विधेयक पारित करने के लिए धन्यवाद देते हुए पीएम के काफिले के आगे चल रहा था। बता दें कि इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मौजूद रहीं। मगर उन्हें उतनी तवज्जो नहीं मिली। जिसके बाद से इन अटकलों को हवा मिली कि दीया राजस्थान में सीएम का चेहरा हो सकती है।
आपको बता दें कि वसुंधरा और दीया कुमारी, दोनों ही पूर्व शाही परिवारों से आती हैं। राज्य के लोगों से इनके संबंध भी काफी मजबूत हैं। हाल ही में बीजेपी ने विद्याधर नगर सीट से दीया कुमारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वरिष्ठ नेता और पांच बार के विधायक नरपत सिंह राजवी को बदलने के फैसले ने सूबे में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। राजवी पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के दामाद भी हैं।
राजवी ने बीजेपी के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह ‘भैरों सिंह शेखावत की विरासत का अपमान’ है। राजवी ने सवाल किया कि 23 अक्टूबर को शुरू होने वाली शेखावत की जन्मशती को बीजेपी किस मुंह से मनाएगी, जब उनके अपने परिवार के साथ इतना खराब व्यवहार किया जा रहा है।
इतना ही नहीं दीया कुमारी की साख पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी उस परिवार को आशीर्वाद क्यों दे रही है जिसने मुगलों के साथ मिलकर राजस्थान के प्रतिष्ठित नायक राणा प्रताप के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। बता दें कि महाराजा मान सिंह ने युद्ध में राणा प्रताप के खिलाफ मुगल सेना का नेतृत्व किया था।
भाजपा द्वारा राजे को दरकिनार किए जाने के बाद पैदा हुए रिक्त को भरने के लिए उनके शाही वंश को भुनाने का लक्ष्य बना रहा है। हालांकि इस संबंध में अभी चुप हैं। इतना ही नहीं उनके वफादारों के भी टिकट काटे जा रहे हैं। मगर इस बारे में भी उन्होंने खामोशी साध रखी है।
भगवा पार्टी ने अपने मंत्रिमंडल में मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत, भरतपुर की नगर सीट से पूर्व विधायक अनीता सिंह और उनके एक अन्य वफादार अजमेर से विकास चौधरी के टिकट काट दिए। एक ओर प्रदेश में लगातार विरोध के स्वर मुखर होते जा रहे हैं। मगर राजे अब भी शांत हैं।
पार्टी सूत्रों की मानें तो राजे की यही चुप्पी पार्टी के लिए ताकत बन सकती है। दरअसल उनकी महत्ता परिवर्तन यात्राओं के दौरान साबित हो चुकी है। उनकी अनुपस्थिति में पार्टी भारी भीड़ जुटाने में विफल रही। बाद में उन्हें ही पार्टी के सभी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए कहा गया।
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