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जयपुर। राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी को राज्य कार्मिक विभाग ने तीन साल के लिए पदावनत कर दिया है. विभाग ने यह कार्रवाई कथित तौर पर पहली शादी को खत्म किए बिना ही दूसरी शादी करने पर की है.
वर्तमान में जयपुर में पुलिस मुख्यालय में सामुदायिक पुलिसिंग के पुलिस अधीक्षक के पद पर पंकज चौधरी तैनात हैं. कार्मिक विभाग द्वारा पिछले सप्ताह जारी आदेश के अनुसार, चौधरी को 18 दिसंबर, 2024 से तीन साल की अवधि के लिए वरिष्ठ वेतनमान (वेतन मैट्रिक्स में स्तर 11) से कनिष्ठ वेतनमान (स्तर 10) में पदावनत किया गया है. चौधरी ने इस आदेश को लेकर एक समाचार पत्र से कहा कि यह आदेश अवैध है और अदालत की अवमानना है. मैं आदेश को चुनौती दूंगा.
उन्होंने कहा कि कैट, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय पहले ही मामले में उनके पक्ष में फैसला दे चुके हैं. उन्होंने अदालत से क्लीन चिट मिलने के करीब चार साल बाद आए इस आदेश के समय पर भी सवाल उठाए.
चौधरी ने X पर लिखा कि मुद्दा यह नहीं है कि पदोन्नति हुई या पदावनत. मुद्दा माननीय अदालतों के आदेशों की जानबूझकर अवमानना है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. यह लक्षण और प्रवृत्ति राज्य के लिए हानिकारक और दुखद है. यह व्यवस्था में विश्वास को तोड़ता है. निष्पक्षता और न्याय शांति की नींव हैं. सत्यमेव जयते – जय हिंद – जय भारत.”
चौधरी ने कहा कि हर युद्ध की एक कीमत होती है. यह युद्ध खास है, संगठित भ्रष्टाचार और अवसरवादियों के खिलाफ. चापलूसी और चाटुकारिता के इस युग में यह युद्ध भावी पीढ़ियों की बेहतरी के लिए है. उन्होंने कहा कि चालाक और अवसरवादी प्रजाति किसी को पदावनत करके कैसे डरा सकती है, जबकि वह व्यक्ति पहले ही सेवा से बर्खास्तगी का सामना कर चुका है.
चौधरी पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं. पिछले साल सितंबर में उन्होंने एक खुला पत्र लिखकर मांग की थी कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को “पेपर लीक की सच्चाई सामने लाने के लिए” गिरफ्तार किया जाए. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर उनके पिछले दो कार्यकालों के दौरान उनके प्रति बदले की भावना और “रहस्यमय द्वेष” का आरोप लगाया था.
इसके पहले 2015 में आईपीएस अधिकारी ने तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार पर उन्हें उनके पद से हटाकर निशाना बनाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि सितंबर 2014 में बूंदी के नैनवा और खानपुर में हुए दंगों के दौरान वीएचपी और बजरंग दल के दंगाइयों को “सरकार के सभी स्तरों से दबाव” के बावजूद मुक्त करने से उन्होंने इनकार कर दिया था, और इसके बजाय उन्हें मुसलमानों के खिलाफ “झूठे मामले दर्ज” करने के लिए कहा गया था.
चौधरी ने आरोप तब लगाए थे, जब उन्हें राजस्थान सरकार द्वारा चार्जशीट दी गई थी, जिसमें उन पर दंगों से निपटने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया गया था.
उन्होंने गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के कथित 2017 के एनकाउंटर को लेकर एक साथी आईपीएस अधिकारी की गिरफ्तारी की भी मांग की थी. 2013 में कथित तौर पर एक प्रभावशाली मुस्लिम नेता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोलने और उसके बेटे, उस समय कांग्रेस के विधायक सालेह मोहम्मद के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद उन्हें जैसलमेर एसपी के पद से स्थानांतरित कर दिया गया था. चौधरी को कथित तौर पर एफआईआर के 48 घंटे के भीतर स्थानांतरित कर दिया गया था.