Rajasthan News: राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) लगातार भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रहा है। पिछले दो वर्षों में 180 अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया, लेकिन अब तक उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इसका कारण अभियोजन की स्वीकृति (Prosecution Sanction) में देरी बताया जा रहा है।

राजस्थान विधानसभा में बीजेपी विधायक कालीचरण सर्राफ के एक सवाल के जवाब में ACB ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए, वे हैरान करने वाले हैं। ACB ने 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2024 तक कुल 1592 आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी, जिसमें से 1189 मामलों को स्वीकृति मिली, लेकिन 403 मामलों में अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली है।

बड़े मामलों में भी फंसी जांच

  • ACP दिव्या मित्तल केस – 2023 में ACB ने SOG की एसीपी दिव्या मित्तल को ₹2 करोड़ की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया था। उनकी संपत्तियों की जांच में आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ था। ACB ने मार्च 2023 में अभियोजन स्वीकृति के लिए आवेदन किया, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
  • ज्वाइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव केस – मई 2023 में सचिवालय के योजना भवन से ₹2.31 करोड़ नकद और 1 किलो सोना बरामद हुआ था। इस मामले में IT विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इस मामले में भी अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली।

क्यों हो रही है देरी?

ACB के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा के अनुसार, अभियोजन स्वीकृति देने की प्रक्रिया में सरकार ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, लेकिन स्थिति अब भी संतोषजनक नहीं है। कई बार संबंधित विभाग जांच से असंतुष्ट रहते हैं, या फिर आरोपी अदालत से स्थगन आदेश (Stay Order) ले लेते हैं, जिससे प्रक्रिया लंबित रह जाती है।

किन विभागों में सबसे ज्यादा पेंडिंग केस?

  • स्वायत्त शासन विभाग – 36 ट्रैप केस लंबित, कुल 80 केस पेंडिंग
  • राजस्व विभाग – 21 ट्रैप केस लंबित, कुल 37 केस पेंडिंग
  • पंचायती राज विभाग – 17 ट्रैप केस लंबित, कुल 69 केस पेंडिंग
  • पुलिस विभाग – 12 ट्रैप केस लंबित, कुल 21 केस पेंडिंग
  • चिकित्सा विभाग – 11 ट्रैप केस लंबित
  • कार्मिक विभाग – 9 ट्रैप केस लंबित, कुल 59 केस पेंडिंग

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