Rajasthan News: जिला मुख्यालय पर स्थित मथुरादास माथुर अस्पताल (एमडीएम) वर्तमान में 60 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ है। अस्पताल की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और स्वास्थ्य विभाग की सचिव गायत्री राठौड़ ने अस्पताल का दौरा किया और यहां की चिकित्सा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने ओपीडी और हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की स्थिति के बारे में जानकारी ली और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में चर्चा की।

कर्ज और खर्चों का समाधान खोजने की कवायद

स्वास्थ्य मंत्री ने इस दौरान अस्पताल की वित्तीय स्थिति पर बात की और कहा कि अस्पताल के संचालन के लिए सरकारी योजनाओं से राशि मिल रही है, लेकिन खर्चे अधिक हो रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अस्पताल में दवाइयों का खर्च बहुत ज्यादा है और इसका पुनर्भरण कैसे किया जाए, इसके लिए काम किया जा रहा है। मंत्री ने आरजीएचएस योजना की कम राशि के बारे में भी चिंता जताई और कहा कि यह योजना उनके विभाग के अधीन नहीं है, बल्कि वित्त विभाग के पास है और इस पर बातचीत की जाएगी।

कॉटेज वार्ड बढ़ाने का प्रस्ताव

स्वास्थ्य मंत्री खींवसर ने अस्पताल की आय बढ़ाने के लिए कॉटेज वार्ड बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठाने का आश्वासन दिया। इस दौरान एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. बीएस जोधा और अस्पताल अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित भी मौजूद रहे।

एमडीएम अस्पताल की स्थिति गंभीर बनी हुई है, खासकर दवाइयों और अन्य चिकित्सा सामग्री के लिए आवश्यक सरकारी अनुदान की कमी के कारण। पिछले सरकार के कार्यकाल में महंगे उपचार किए गए, लेकिन इन खर्चों का पुनर्भरण नहीं हो सका, जिससे कर्ज में वृद्धि हुई।

पिछले साल अस्पताल का अधीक्षक बदला गया था, लेकिन अस्थायी व्यवस्था से स्थितियां और खराब हो गईं। अब सरकार ने डॉ. विकास राजपुरोहित को फिर से अस्पताल की कमान सौंपी है, और उनकी पहली प्राथमिकता कर्ज उतारने की है, जिसके कारण कई जरूरी कार्य बाधित हो रहे हैं।

पढ़ें ये खबरें