Rajasthan News: राजस्थान में पानी की कमी दूर करने के लिए अब आसमान से बारिश नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई बारिश होगी। जयपुर के रामगढ़ बांध को भरने के लिए 12 अगस्त से कृत्रिम वर्षा (आर्टिफिशियल रेन) प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट करीब एक महीने से ज्यादा समय तक चलेगा। पहले इसे 30 जुलाई से शुरू होना था, लेकिन मौसम अनुकूल न होने के कारण इसे टाल दिया गया था।

देश में पहली बार प्रिसिजन बेस्ड ड्रोन रेन
यह भारत का पहला मौका है, जब ड्रोन के जरिए ‘प्रिसिजन बेस्ड’ कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम जयपुर पहुंच चुकी है। यह टीम एआई तकनीक से मौसम और बादलों का डेटा विश्लेषण करके क्लाउड सीडिंग करेगी। अब तक देश में जितने भी आर्टिफिशियल रेन प्रोजेक्ट हुए हैं, वे बड़े क्षेत्र पर केंद्रित थे, लेकिन इस बार एक विशेष लोकेशन—रामगढ़ बांध को टारगेट किया जा रहा है। अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो भविष्य में इसे देशभर के सूखा प्रभावित इलाकों में लागू किया जा सकता है।
क्लाउड सीडिंग कैसे काम करती है
कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायनों का उपयोग होता है। इन्हें हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर या ड्रोन के जरिए बादलों में छोड़ा जाता है। बादलों के अंदर ये कण पानी की सूक्ष्म बूंदों के इर्द-गिर्द जमा होकर उन्हें बड़ा करते हैं, जो बाद में बारिश के रूप में गिरती हैं। यह तकनीक तभी काम करती है जब वातावरण में पर्याप्त नमी और बादल मौजूद हों। इसका इस्तेमाल आमतौर पर सूखा प्रभावित इलाकों, जलसंकट झेल रहे शहरों और कृषि के लिए किया जाता है।
दिल्ली का प्लान भी टला
दिल्ली सरकार ने भी 4 से 11 जुलाई के बीच कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई थी, जिसे आईआईटी कानपुर के हवाले किया गया था। लेकिन आईएमडी और आईआईटीएम पुणे के अनुसार उस दौरान बादलों का पैटर्न अनुकूल नहीं था, इसलिए योजना स्थगित हो गई। अब दिल्ली में यह प्रोजेक्ट 30 अगस्त से 10 सितंबर के बीच किया जाएगा, जिसके लिए डीजीसीए से मंजूरी मिल चुकी है। भारत में पहली बार क्लाउड सीडिंग 1951 में केरल के वेस्टर्न घाट पर टाटा फर्म ने की थी, तब यह हवाई जहाज से की गई थी।
दुनिया में अनुभव और खतरे
मिडिल ईस्ट के कई देशों में यह तकनीक पहले से अपनाई जा चुकी है। हाल ही में अप्रैल 2024 में दुबई में विमानों के जरिए क्लाउड सीडिंग की गई, जिसके बाद इतनी बारिश हुई कि बाढ़ जैसे हालात बन गए। 16 अप्रैल को वहां कुछ घंटों में उतनी बारिश हुई, जितनी सामान्यतः डेढ़ साल में होती है। इससे शहर के सड़क, कॉलेज, एयरपोर्ट तक पानी में डूब गए।
विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीक कारगर है, लेकिन इसकी योजना बेहद सोच-समझकर बनानी पड़ती है, क्योंकि कभी-कभी यह अत्यधिक बारिश भी करा सकती है।
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