Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने संविधान हत्या दिवस मनाने को लेकर भाजपा को आड़े हाथों लिया और इसे बेईमानी के प्रतीक की तरह बताया।
गहलोत ने लिखा, संविधान हत्या दिवस मनाना ऐसा ही है जैसे कोई बेईमान व्यक्ति ईमानदारी पर प्रवचन दे। उन्होंने दावा किया कि देश आज अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति से गुजर रहा है और पिछले 11 वर्षों में लोकतंत्र का जितना क्षरण हुआ, वैसा आज़ादी के बाद कभी नहीं हुआ।

लोकतंत्र का नया मॉडल थोपने की कोशिश
अशोक गहलोत ने भाजपा पर लोकतंत्र का नया और खतरनाक मॉडल थोपने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा आज अगर पत्रकार सवाल करते हैं तो उन्हें देशद्रोही बताया जाता है, छात्र विरोध करें तो उन्हें आतंकवादी कहा जाता है, और अगर विपक्षी नेता सरकार की आलोचना करें तो उन पर ईडी की कार्रवाई हो जाती है।
मीडिया संस्थानों पर छापे इसलिए पड़े क्योंकि उन्होंने सरकार की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग की। अब तो विपक्ष की आवाज़ को जगह ही नहीं मिलती, लेकिन सरकार की प्रतिक्रियाएं प्रमुखता से दिखाई जाती हैं ताकि विपक्ष को ही गलत ठहराया जा सके।
इमरजेंसी में भी किसी मुख्यमंत्री को नहीं किया गया था गिरफ्तार
गहलोत ने मौजूदा हालात की तुलना इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल से करते हुए कहा उस दौर में न किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया और न ही किसी सांसद की सदस्यता रद्द की गई थी। लेकिन आज झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में हैं, और राहुल गांधी की संसद सदस्यता तक खत्म की जा चुकी है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि विपक्ष के 200 से अधिक नेताओं पर ईडी की कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन जैसे ही कोई नेता भाजपा में शामिल होता है, उस पर कार्रवाई रुक जाती है।
विधायकों की खरीद-फरोख्त और फोन टैपिंग ने लोकतंत्र को शर्मसार किया
गहलोत ने भाजपा पर राज्यों में लोकतांत्रिक सरकारों को अस्थिर करने के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकारें गिराई गईं। आज लोग फोन पर बात करते वक्त भी डरते हैं, उन्हें लगता है कि कोई सुन रहा है ये जासूसी का माहौल है।
राज्यों पर केंद्र की तानाशाही और थोपे गए मुख्यमंत्री
गहलोत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाकर संघीय ढांचे को कमजोर कर रही है। भाजपा शासित राज्यों में चुने हुए विधायकों को दरकिनार कर मुख्यमंत्रियों को थोपने की बात भी उन्होंने उठाई। साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्ष-शासित राज्यों में राज्यपालों के माध्यम से केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर रही है।
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