Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में नगर निगमों को एक करने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया की शुरुआत रविवार से होगी, जिसके तहत जयपुर के हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम को मिलाया जाएगा। इसी तरह, जोधपुर और कोटा के दो-दो निगमों को भी एक किया जाएगा।

इस प्रक्रिया में तीन महीने लगेंगे, जिसमें 16 फरवरी से 20 मार्च तक वार्डों के परिसीमन के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे और 15 मई तक आपत्तियों के निस्तारण के बाद अंतिम प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इससे वार्डों की संख्या में भी कमी आएगी। हालांकि, इस फैसले का कांग्रेस विरोध कर रही है।

सरकार का तर्क: जनसंख्या के अनुपात में फैसला

झुंझुनूं दौरे के दौरान शहरी विकास मंत्री झाबरसिंह खर्रा ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगम बनाना एक राजनीतिक फैसला था, जिसका जनता से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने मुंबई का उदाहरण देते हुए कहा कि जब तीन से साढ़े तीन करोड़ की जनसंख्या वाला शहर एक महानगरपालिका से सफलतापूर्वक संचालित हो सकता है, तो फिर इन शहरों में दो नगर निगमों की जरूरत नहीं थी। इसलिए सरकार ने इन्हें फिर से एक करने का निर्णय लिया है।

कांग्रेस ने किया विरोध

सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने विरोध जताते हुए जयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट सर्किल पर प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल पूर्ववर्ती सरकार के निर्णयों को खत्म करने पर जोर दे रही है, न कि जनता के हित में कोई काम कर रही है।

नगर निगम एकीकरण से होगा विकास: भाजपा

जयपुर ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जयपुर को दो हिस्सों में बांटकर कांग्रेस ने केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकीं, जिससे शहर के विकास में रुकावट आई। अब नगर निगमों के एकीकरण से विकास को गति मिलेगी।

वार्ड पुनर्गठन पर सरकार का पक्ष

यूडीएच मंत्री झाबरसिंह खर्रा ने कहा कि गहलोत सरकार में वार्डों का पुनर्गठन अनुचित तरीके से किया गया था, जिससे कुछ वार्डों में 1800 वोटर थे, तो कुछ में 5000-6000। इसलिए पुनर्गठन आवश्यक हो गया है। साथ ही, पंचायतों को नगरपालिका में क्रमोन्नत करने की मांगों पर भी विचार किया जा रहा है, जो पंचायतें मानकों को पूरा करेंगी, उन्हें नगरपालिका का दर्जा दिया जाएगा।

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