Rajasthan News: राजस्थान में 8,000 से अधिक खनन पट्टाधारकों के लिए राहतभरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में खनन संचालन को 2 महीने के लिए बढ़ाने का आदेश दिया है, जिससे 31 मार्च 2025 को बंद होने वाले खनन कार्यों को अस्थायी राहत मिल गई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने राजस्थान सरकार द्वारा दायर अंतरिम याचिका (IA) पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।

खनन क्षेत्र में लंबे समय से चल रहा कानूनी विवाद
राजस्थान में खनन क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से कानूनी उलझनों में फंसा हुआ है। विवाद की जड़ यह है कि पर्यावरणीय स्वीकृति देने का अधिकार जिला स्तरीय समिति (DEACC) के पास होगा या राज्य स्तरीय समिति (SEACC) इसकी पुष्टि करेगी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों के तहत जिला स्तर की स्वीकृतियां अमान्य घोषित कर दी गई थीं और राज्य स्तरीय समिति द्वारा पुनः समीक्षा का आदेश दिया गया था। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
पिछले साल के आदेश में 31 मार्च 2025 तक की थी अनुमति
12 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने खनन कार्यों को 31 मार्च 2025 तक संचालित करने की अनुमति दी थी, ताकि इस दौरान पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके। लेकिन जैसे-जैसे समयसीमा नजदीक आई, हजारों खदानों के बंद होने और लाखों श्रमिकों के रोजगार पर संकट गहराने लगा। इस स्थिति को देखते हुए राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समयसीमा बढ़ाने की अपील की।
2 महीने की राहत से खनन क्षेत्र को अस्थायी सहारा
राजस्थान सरकार ने अदालत को बताया कि यदि खनन कार्य तत्काल बंद होते हैं, तो इससे 8,000 से अधिक खदानों पर ताले लग जाएंगे, जिससे लाखों मजदूरों, व्यापारियों और उद्यमियों पर असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यावहारिक कठिनाई को ध्यान में रखते हुए 2 महीने की अतिरिक्त मोहलत दी।
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