Rajasthan News: राजस्थान के जालोर जिले में नर्मदा नहर परियोजना को लेकर एक बार फिर भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। वर्ष 2023 में इस परियोजना में बिना किसी काम के ठेकेदारों को भुगतान किए जाने का मामला सामने आया था। राज्य स्तरीय जांच समिति ने इस घोटाले की पुष्टि करते हुए कई अधिकारियों को दोषी ठहराया था। इसके बावजूद डेढ़ साल से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अब, पुराने दोषियों को बचाने के आरोपों के बीच एक नई जांच समिति गठित की गई है, जिससे स्थानीय किसानों और जागरूक नागरिकों में जबरदस्त आक्रोश है।

पुरानी जांच में खुला था फर्जीवाड़ा
मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत स्वीकृत नर्मदा नहर परियोजना के तहत वर्ष 2023 में किए गए कार्यों में भारी अनियमितताएं सामने आई थीं। 20 अक्टूबर 2023 को राज्य स्तरीय जांच समिति ने पांच स्थानों की जांच की थी, जहां पाया गया कि ठेकेदारों को फर्जी भुगतान किया गया। जांच समिति ने पाया कि मौके पर कोई काम नहीं हुआ था, फिर भी भुगतान किया गया। समिति ने इस पर संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाई थी, लेकिन इसके बावजूद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
नई जांच कमेटी पर सवाल
21 मई 2025 को सरकार ने नई जांच समिति का गठन किया, जिसमें पाली ज़ोन के अतिरिक्त मुख्य अभियंता मनीष परिहार और जयपुर-जोधपुर ज़ोन के मुख्य लेखाकार शामिल थे। लेकिन शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इस समिति को गलत जगहें दिखाकर जांच को भटकाने की कोशिश की गई। माप पुस्तिका में दर्ज स्थान और समिति को दिखाए गए स्थान अलग-अलग थे, जिससे यह स्पष्ट है कि यह नई जांच केवल दोषियों को बचाने की कवायद है।
अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि जब पहली जांच में ही भ्रष्टाचार प्रमाणित हो चुका है, तो दोबारा जांच का कोई औचित्य नहीं था। उनका आरोप है कि जल संसाधन विभाग जानबूझकर समय बर्बाद कर रहा है ताकि दोषियों को बचाया जा सके। साथ ही बताया गया कि जोधपुर ज़ोन में बैठकर आरोपी अधिकारी जांच को प्रभावित कर रहे हैं। शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि इन अधिकारियों को हटाकर निष्पक्ष जांच की जाए और मोबाइल लोकेशन की जांच कर सच्चाई सामने लाई जाए।
पहले से भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी
इस मामले में आरोपी अधिशासी अभियंता राज भंवरायत पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर चुके हैं। 14 जनवरी 2025 को एक ठेकेदार ने उन पर 17 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्हें नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से कार्रवाई रोक दी गई।
शिकायतकर्ताओं को धमकाने का आरोप
11 और 12 अप्रैल 2025 को राज भंवरायत और उनके दो सहयोगियों ने शिकायतकर्ताओं के घर जाकर उन्हें शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। शिकायतकर्ताओं के पास इसके कुछ प्रमाण भी मौजूद हैं। उनका कहना है कि अगर संबंधित अधिकारियों के मोबाइल की लोकेशन जांची जाए, तो सच्चाई उजागर हो सकती है। लेकिन विभाग पूरे मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
किसानों का गुस्सा फूटा
संयुक्त किसान मोर्चा ने कई बार ज्ञापन देकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। 17 अक्टूबर 2023 को किसानों ने जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने की चेतावनी दी थी। किसानों का कहना है कि सांचौर क्षेत्र में नर्मदा नहर उनकी जीवनरेखा है, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते इसका लाभ अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पा रहा। रबी फसल के लिए पानी की सख्त जरूरत है, लेकिन नहरों की सफाई और मरम्मत केवल कागजों में ही हुई है।
कहां-कहां हुआ फर्जीवाड़ा?
- डीडावा ए माइनर (किमी 0.800 से 1.500): 1500 मीटर सीमेंट कंक्रीट डॉवेल दिखाया गया, जबकि मौके पर कोई कार्य नहीं हुआ।
- किमी 4.00 से 5.00: 45000 क्यूबिक मीटर मिट्टी हटाने का दावा, लेकिन ज़मीन पर नाममात्र काम हुआ।
- पांडरवाली ए माइनर (किमी 5.00 से 6.30): पत्थर की पिचिंग और डॉवेल का कार्य दर्शाया गया, पर मौके पर कुछ नहीं मिला।
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