Rajasthan News: इंजीनियरिंग (JEE) और मेडिकल (NEET) की तैयारी के लिए मशहूर कोटा अब छात्रों और अभिभावकों को डराने लगा है। नए साल की शुरुआत से ही कोटा में आत्महत्या के मामलों ने हड़कंप मचा दिया है। जनवरी महीने में अब तक 6 छात्रों ने अपनी जान ले ली। पढ़ाई का दबाव, प्रशासन की लापरवाही और कोचिंग संस्थानों की उदासीनता जैसे मुद्दों ने कोचिंग नगरी की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

10 वर्षों में 127 आत्महत्या

बीते 10 सालों में कोटा में पढ़ाई के दबाव के चलते 127 छात्रों ने आत्महत्या की। साल 2015 और 2016 में क्रमशः 18 और 17 मामलों ने कोटा को सुर्खियों में ला दिया था। इसके बाद 2018 में 20, 2019 में 18, और 2023 में 26 छात्रों ने अपनी जान ली। इन आंकड़ों के साथ कोटा में आत्महत्या का संकट हर साल गहराता जा रहा है।

हॉस्टल और पीजी पर सख्ती

हाल ही में 24 घंटों के भीतर दो छात्रों की आत्महत्या के बाद प्रशासन हरकत में आया है। हॉस्टल और पीजी में सुरक्षा मानकों का निरीक्षण किया गया, जिसमें कई खामियां उजागर हुईं। अहमदाबाद की अफ्शा और असम के पराग की आत्महत्या वाले पीजी में एंटी-हैंगिंग डिवाइस तक नहीं था। प्रशासन ने संबंधित संचालकों को नोटिस जारी कर उनके कमरे सील कर दिए। वहीं, कई अन्य हॉस्टल में अग्निशमन यंत्र और सुरक्षा के उपाय भी नदारद मिले।

एडमिशन प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत

कोटा रेंज के आईजी रवि दत्त गौड़ ने छात्रों के तनाव को कम करने के लिए कुछ अहम सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थानों में एडमिशन से पहले चयन समिति बनाई जाए और छात्रों व उनके परिजनों की अलग-अलग काउंसलिंग होनी चाहिए। साथ ही, आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को फीस में विशेष रियायत दी जाए ताकि पढ़ाई का अतिरिक्त दबाव कम हो सके।

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