Rajasthan News: राजस्थान में कक्षा 12 की इतिहास पुस्तक ‘आज़ादी के बाद स्वर्णिम इतिहास’ को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस पुस्तक में महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह सहित कांग्रेस से जुड़े नेताओं पर विस्तृत सामग्री दी गई है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी, भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे जैसे नेताओं के योगदान का या तो उल्लेख नहीं है या बेहद सीमित है।

पुस्तक के कवर और अंदरूनी पन्नों में 15 से अधिक तस्वीरें कांग्रेस नेताओं की हैं, जिनमें सोनिया गांधी और अशोक गहलोत की भी तस्वीरें शामिल हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी, जो पिछले 11 वर्षों से देश का नेतृत्व कर रहे हैं, का एक भी चित्र पुस्तक में नहीं है। उल्लेखनीय है कि संयोजक के प्राक्कथन में भी 80% चर्चा राजीव गांधी के योगदान पर केंद्रित है।

शिक्षा मंत्री का विरोध: ऐसी किताबें नहीं पढ़वाएंगे

राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस पुस्तक पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह पूरी तरह कांग्रेस की महिमा गान करती है। उनके अनुसार, इसमें लोकतंत्र का गला घोंटने वालों की गाथाएं हैं, जबकि देश को आगे ले जाने वाले नेताओं को नजरअंदाज किया गया है। ऐसी किताबों को स्कूलों में नहीं पढ़वाया जाएगा।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री मोदी का योगदान, जिन्होंने देश को वैश्विक मंच पर स्थापित किया है, उसमें नहीं है, और भैरोंसिंह शेखावत व वसुंधरा राजे जैसे नेताओं का भी कोई उल्लेख नहीं तो यह किस तरह की निष्पक्ष शिक्षा है?

पुराना संस्करण ही दोबारा छापा गया

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पुस्तक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तैयार किए गए पुराने पाठ्यक्रम का ही पुनर्मुद्रण है, जिसमें केवल 2025 जोड़कर उसे फिर से प्रकाशित कर दिया गया है। यह किताब दो भागों में है, जिनमें भाग-2 सबसे ज्यादा चर्चा में है।

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने पुष्टि की है कि पुस्तक को छापने से पहले सरकारी मंजूरी ली गई थी। बोर्ड सचिव कैलाश चंद शर्मा ने कहा कि बोर्ड सरकार से अनुमति लेकर ही पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करता है और आगे जो भी निर्देश मिलेंगे, उनका पालन किया जाएगा। वहीं पुस्तक मंडल के सीईओ मनोज कुमार ने सफाई दी कि हमारा कार्य सिर्फ छपाई और वितरण का है, कंटेंट की जिम्मेदारी हमारी नहीं है।

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