Rajasthan News: राजस्थान लघु उद्योग निगम एवं राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशनल काउंसिल के चेयरमैन राजीव अरोड़ा ने भारत सरकार की ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट’ (ओडीओपी) के अंतर्गत सोमवार को नई दिल्ली के राजस्थली एम्पोरियम में ओडीओपी डिस्पले विंडो का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राजीव अरोड़ा ने कहा कि ’ओडीओपी’ अपनी डिस्प्ले विंडो के माध्यम से राजस्थान के कारीगरों, शिल्पकारों और किसानों के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है। राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा परिकल्पित इस पहल ने पहले ही परिणाम देना शुरू कर दिया है क्योंकि राज्य की एमएसएमई नीति के तहत औद्योगिक इकाइयां फल-फूल रही हैं। इसके अलावा, ओडीओपी मिशन निर्यातक बनो योजना के माध्यम से निर्यात के अवसरों को काफी बढ़ावा देगा। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि राजस्थान का निर्यात अब दोगुना हो गया है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

चेयरमैन ने राजस्थान के विभिन्न जिलों की प्रसिद्ध उत्पादों का वर्णन करते हुए जयपुर की ब्लू पॉटरी रत्न और आभूषण की विषेषता का वर्णन किया। उन्होंने जोधपुर की लकड़ी और लोहे की हस्तशिल्प, जोधपुर के कारीगरों की उत्कृष्ट रचनाएँ, जो लकड़ी और गढ़ा लोहे से बड़ी मेहनत से बनाई जाती है उनके कौशल और रचनात्मकता के बारे मे बताया।

उन्होंने बताया कि कोटा का कोटा डोरिया, हल्के और जटिल बुनाई के लिए प्रसिद्ध नाजुक और विशिष्ट कोटा डोरिया वस्त्र, राजस्थान की कलात्मक विरासत के वास्तविक सार को दर्शाते हैं। नागौर के संगमरमर उत्पाद, प्राचीन संगमरमर को लुभावनी कला में बदलते हुए, कुशल हाथ और कारीगर स्थायी सुंदरता को आकार देते हैं। प्रतापगढ़ की थेवा कलाः मंत्रमुग्ध कर देने वाली थेवा तकनीक, सोने और कांच का मिश्रण, अपने जटिल रूपांकनों के माध्यम से मनोरम कहानियों को प्रकट करती है। इसी प्रकार उत्कृष्टता का यह प्रदर्शन असंख्य अन्य उत्पादों तक फैला हुआ है, जिनमें जालौर से जीरा और चमड़े के उत्पाद, भरतपुर से शहद और खाद्य तेल, दौसा से जूट कालीन, राजसमंद से टेराकोटा, बाड़मेर से कपड़ा कढ़ाई और विभिन्न जिलों से विविध पेशकश शामिल हैं।  प्रत्येक राजस्थान की विरासत का सार समेटे हुए है।

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