Rajasthan News: जयपुर. शहर के पारिवारिक न्यायालय-3 ने एक मामले में पति-पत्नी की 12 साल पुरानी शादी को 10 दिनों में तलाक मंजूर करते हुए दोनों की सहमति से तलाक की डिक्री जारी की है. न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अजय शुक्ला ने फैसले में कहा कि दोनों के बीच समझौता वार्ता असफल रही है और दोनों ने साथ रहने से भी इंकार कर दिया है. ऐसे में दोनों की आपसी सहमति के आधार पर तलाक मंजूर करना उचित होगा.

high court

इस मामले से जुड़े अधिवक्ता सुनील शर्मा और गौरव सिंघल ने मीडिया को बताया कि तलाक की डिक्री होने पर निजी कंपनी में कार्यरत पति ने अपनी पत्नी और बेटी के भरण-पोषण के लिए 3 करोड़ रुपये की राशि दी है. इस राशि में से 2 करोड़ रुपये पत्नी को और 1 करोड़ रुपये बेटी को दिए गए हैं. दोनों ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत न्यायालय में आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया था.

इसमें कहा गया था कि उनकी शादी हिंदू रीति-रिवाज से 2 अप्रैल 2010 को हुई थी और इससे उनकी एक बेटी भी है, लेकिन विवाह के बाद से उनके बीच वैचारिक मतभेद शुरू हो गए और उनका भविष्य में साथ रहना संभव नहीं हो पाया. इसी कारण वे दोनों 30 मई 2022 से अलग-अलग रहने लगे.

अदालत ने दोनों पक्षों से बातचीत करते हुए पति और पत्नी को आपस में साथ रहने के लिए समझाने का प्रयास भी किया, जो असफल रहा. अदालत ने कई बार कहा कि भारतीय शादी एक अटूट बंधन है और इसे बच्ची के भविष्य को देखते हुए बचाना अच्छा होगा, लेकिन दोनों पक्ष इस पर सहमत नहीं हुए.

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