Rajasthan News: जोधपुर में एक बार फिर साइबर ठगों का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां ठगों ने चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहम्मद शाकिर गौरी से 9 लाख रुपये की ठगी की। पीड़ित ने सदर कोतवाली थाने में इसकी शिकायत दर्ज करवाई है, जो कि जोधपुर में डिजिटल अरेस्ट का चौथा मामला है।

जांच अधिकारी, सदर कोतवाली थाने के एसआई पुखराज के अनुसार, 49 वर्षीय डॉ. शाकिर गौरी, जो बालेसर में चिकित्सा अधिकारी हैं, ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उन्हें 6 अक्टूबर को एक फोन आया। फोन पर कॉलर ने किसी पार्सल के बारे में जानकारी देने के लिए 1 दबाने को कहा। कॉल करने वाले ने अपना नाम अमित शर्मा बताया और कहा कि उनके नाम पर दिल्ली से थाईलैंड के लिए एक पार्सल बुक किया गया है, जो दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया है। इसमें 5 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड, 4.2 किलो कपड़े, 1 लैपटॉप और 1.4 ग्राम एमडी ड्रग्स शामिल थे।

पाकिस्तान से फंडिंग का डर

ठगों ने डॉ. गौरी को डरा-धमकाकर कहा कि उन्हें दो घंटे के भीतर दिल्ली क्राइम ब्रांच पहुंचना होगा। जब डॉक्टर ने कहा कि वह जोधपुर से इतनी जल्दी दिल्ली नहीं आ सकते, तब ठगों ने वॉट्सएप पर वीडियो कॉल किया और खुद को आईपीएस समाधान पंवार बताया। ठगों ने दावा किया कि डॉक्टर के लोकल बैंक और राजनीतिक संपर्कों की मदद से यह खाता खोला गया है, जिसमें पाकिस्तान से फंडिंग की गई है। जब डॉक्टर ने इन आरोपों का खंडन किया, तो ठगों ने कहा कि यह मामला मानव तस्करी से जुड़ा हुआ है।

डिजिटल अरेस्ट का सामना

ठगों ने डॉ. गौरी से कहा कि यदि वह 24 घंटे उनका सहयोग करते हैं, तो वह बच सकते हैं। उन्होंने डॉक्टर को सलाह दी कि वह न तो मोबाइल बंद करें और न ही किसी को इस बारे में बताएं। 7 अक्टूबर को जब डॉक्टर सुबह ड्यूटी पर गए, तो ठगों ने उन्हें घर वापस बुलाया। पूरे दिन डिजिटल अरेस्ट बनाए रखते हुए, ठगों ने डॉक्टर को एचडीएफसी बैंक के खाते में पैसे डालने के लिए कहा, यह कहकर कि 6 घंटे में पैसे अपने आप वापस आ जाएंगे। इस पर डॉक्टर ने 9 लाख 5 हजार रुपये जमा कर दिए। शाम को जब उन्होंने वॉट्सएप चेक किया, तो नंबर ऑफलाइन हो गया और जब वापस कॉल किया तो कोई जवाब नहीं मिला। ठगी का एहसास होते ही डॉक्टर ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।

जोधपुर में डिजिटल ठगी का बढ़ता मामला

जोधपुर में डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला अगस्त में आया था, जब बदमाशों ने आईआईटी की प्रोफेसर से 23 लाख रुपये ठगे थे। इसके बाद मेडिकल कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष से 87 लाख रुपये और एक डेंटिस्ट से 6 लाख रुपये की ठगी हुई थी। पुलिस ने इन मामलों में उपयोग किए गए ट्रांजेक्शन खातों को भी पकड़ा है।

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