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Rajasthan News: जल जीवन मिशन के तहत पेयजल परियोजनाओं पर कार्यरत ऐसी कॉन्ट्रेक्टर फर्मों जिनकी प्रो-राटा प्रोग्रेस काफी कम है और प्रोजेक्ट अवधि पूरी होने के बाद भी अभी तक आधा काम भी पूरा नहीं किया है, उन्हें रेड लिस्ट कर जलदाय विभाग की आगामी परियोजनाओं में शामिल होने से डिबार किया जाएगा। प्रोजेक्ट्स में देरी के ठोस एवं उचित कारण होने पर फर्मों को और मौका दिया जाएगा लेकिन जिन फर्मों ने बिना किन्ही ठोस कारणों के लापरवाहीपूर्वक देरी की है उन फर्मों को नए प्रोजेक्ट्स नहीं मिलेंगे। अच्छी प्रोग्रेस दिखाते हुए रेड लिस्ट से बाहर आने पर ही इन फर्मों को प्रोजेक्ट्स मिल सकेंगे।
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अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को जल भवन में हुई जेजेएम परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक में उन्होंने 50 प्रतिशत से कम प्रो-राटा प्रोग्रेस वाली परियोजनाओं में फर्मों द्वारा विभिन्न स्पान में की गई भौतिक प्रगति एवं लक्ष्य के मुकाबले किए गए खर्च की समीक्षा की। उन्होंने संबंधित अभियंताओं को प्रोजेक्ट्स की प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी भिजवाने के निर्देश दिए। बैठक में शामिल कॉन्ट्रेक्टर फर्मों के प्रतिनिधियों से प्रोजेक्ट्स पूरे होने में देरी के कारण पूछे और उन्हें परियोजनाओं की प्रगति को लेकर गंभीरता दिखाने के निर्देश दिए।
एसीएस पीएचईडी ने लघु पेयजल परियोजनाओं की लक्ष्य के मुकाबले प्रगति के बारे में भी जानकारी ली। डॉ. अग्रवाल ने सबसे कम प्रगति वाली फर्मों के प्रतिनिधियों से काम समय पर नहीं करने की वजह पूछी और विभिन्न स्पान पूरे करने में फर्मों द्वारा लिए गए समय के बारे में जानकारी ली। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं होने से लोगों को जल कनेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। इन फर्मों ने ओटीएमपी के तहत उच्च जलाशय बनाने एवं पाइप लाइन डालने जैसे कार्यों में देरी की है जिससे एफएचटीसी की गति धीमी है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि विभाग की ओर से बजट की कोई कमी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विभिन्न परियोजनाओं की धीमी प्रगति की जांच के आधार पर सबसे निचले पायदान पर रहने वाली फर्में आगे आने वाली परियोजनाओं टेण्डर प्रक्रिया में भागीदारी नहीं कर पाएंगी।
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