Rajasthan News: राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बुधवार देर शाम ऐलान किया कि अगले एकेडमिक सत्र से राज्य के 9 जिलों में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू की जाएगी। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 (NEP-2020) के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में यह नई पहल की जाएगी। राजस्थान स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (RSCERT) ने इस योजना के लिए जरूरी सिलेबस तैयार कर लिया है।

इन 9 जिलों में पहले होगी शुरुआत

शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि फिलहाल सिरोही और डूंगरपुर जिलों में मल्टीलिंग्वल लैंग्वेज प्रोग्राम चल रहा है। अब इसे जयपुर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, सिरोही और डूंगरपुर तक विस्तारित किया जाएगा। योजना के मुताबिक, 2026 तक यह कार्यक्रम राजस्थान के 25 जिलों में लागू कर दिया जाएगा।

स्थानीय भाषा में पढ़ाई के फायदे

मदन दिलावर ने बताया कि बच्चों को उनके स्थानीय परिवेश की भाषा में पढ़ाने से उनका सीखने का अनुभव अधिक प्रभावी और आसान हो जाता है। राजस्थान में विभिन्न बोलियों के कारण बच्चों और शिक्षकों के बीच भाषा का अंतर कई बार पढ़ाई में बाधा बनता है। स्थानीय भाषा में पढ़ाई से बच्चे अधिक आसानी से कॉन्सेप्ट्स को समझ पाएंगे और स्कूली भाषा में बेहतर ढंग से ढल सकेंगे।

‘शिक्षा केवल मान्यताओं पर आधारित नहीं होनी चाहिए’

मंत्री ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई केवल मान्यताओं पर आधारित नहीं होनी चाहिए। हमें एक ऐसा सिलेबस चाहिए जो बच्चों को प्रेरित करे और राष्ट्र निर्माण की दिशा में उन्हें तैयार करे। इसके लिए राजस्थान के महान नेताओं और क्रांतिकारियों के योगदान को सिलेबस में शामिल करना जरूरी है।

नई शिक्षा नीति का हिस्सा

यह पहल नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा और स्थानीय परिवेश से जोड़कर शिक्षा को और प्रभावी बनाना है।

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