Rajasthan News: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के हालिया निर्णयों को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हुए उनकी निष्पक्षता पर उंगली उठाई है। गहलोत ने कहा कि देवनानी विधानसभा अध्यक्ष पद की गरिमा और निष्पक्षता की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं।
गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “देवनानी द्वारा लिए गए फैसलों से विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा को ठेस पहुंची है। पहले कांग्रेस के छह विधायकों को निलंबित किया गया, फिर अपुष्ट मीडिया रिपोर्टों के आधार पर सदन में चर्चा कराई गई। इसके साथ ही, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह डोटासरा पर उनकी अनुपस्थिति में की गई टिप्पणी जनमत का अपमान है।”

विधायक की सजा के बावजूद सदस्यता रद्द न होने पर सवाल
गहलोत ने 1 मई 2025 को अंता से भाजपा विधायक को तीन साल की सजा सुनाए जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट के लिली थॉमस केस में स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद 17 दिन बीतने के बाद भी विधायक की सदस्यता रद्द क्यों नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा मिलने पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता उसी दिन से समाप्त मानी जानी चाहिए जिस दिन फैसला सुनाया गया हो।
विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष के अचानक हटाने पर नाराजगी
गहलोत ने आगे बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद और वर्तमान विधायक नरेंद्र बुढ़ानिया को 30 अप्रैल को विशेषाधिकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन मात्र 15 दिनों में ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया। गहलोत ने कहा, ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है जब किसी समिति के अध्यक्ष को इतनी जल्दी बदला गया हो, जबकि परंपरागत रूप से ऐसे पदों का कार्यकाल कम से कम एक वर्ष होता है।
फैसलों पर पुनर्विचार की अपील
अपने पोस्ट के अंत में गहलोत ने देवनानी से अपील करते हुए कहा कि वे अपने हालिया फैसलों पर पुनर्विचार करें और विधानसभा की लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन करते हुए निष्पक्ष और न्यायसंगत कार्रवाई सुनिश्चित करें।
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