Rajasthan News: राजस्थान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) का गंभीर दुरुपयोग सामने आया है। ये योजना गरीबों को दो रुपये किलो के हिसाब से गेहूं देने के लिए बनाई गई थी, लेकिन जांच में पता चला कि हजारों सरकारी कर्मचारी और अफसर ही सालों से इसका गलत फायदा उठा रहे थे।

83 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारी बने ‘गरीब’

आधार से योजना को लिंक करने के बाद खुलासा हुआ कि प्रदेश के 40 जिलों में 83,679 सरकारी कार्मिक NFSA के तहत मिलने वाले सस्ते गेहूं का अवैध लाभ ले रहे थे। इन कर्मचारियों में शिक्षक, पुलिसकर्मी, केंद्र और राज्य के विभिन्न विभागों के अधिकारी तक शामिल थे।

सरकार ने अब तक इनसे 82 करोड़ रुपये की वसूली कर ली है। लेकिन ये रकम केंद्र सरकार की योजना से जुड़ी होने के बावजूद अब तक भारत सरकार को वापस नहीं भेजी गई है, जिस पर कैग (CAG) ने आपत्ति दर्ज की है।

गेहूं 2 रुपये किलो में लिया, रिकवरी 27 रुपये किलो पर

जिन कर्मचारियों ने सालों तक दो रुपये किलो में गेहूं लिया, उनसे वसूली बाजार दर यानी 27 रुपये प्रति किलो के हिसाब से की गई।
उदाहरण के तौर पर जयपुर ग्रामीण के बस्सी और चौमूं इलाकों में कई शिक्षकों से एक-एक लाख रुपये तक की रिकवरी हुई है। अलवर के राजगढ़ और दिल्ली पुलिस में तैनात कुछ कर्मचारियों के नाम भी इस फर्जीवाड़े में सामने आए हैं।

गिव अप कैंपेन और आंकड़े

1 नवंबर 2024 को राज्य सरकार ने ‘गिव अप’ अभियान शुरू किया, जिसके तहत अब तक 23 लाख लोगों ने खुद ही योजना से नाम हटवा लिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, जिन लोगों की ई-केवाईसी नहीं थी, उनमें से 27 लाख को योजना से बाहर कर दिया गया। वहीं 26 जनवरी 2025 से अब तक 51 लाख नए पात्र लाभार्थियों को योजना में शामिल किया गया है।

केंद्र को रकम लौटाने में देरी पर बवाल

खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने इस बारे में कहा कि वसूली हो चुकी है, लेकिन रकम लौटाने का मसला राज्य और केंद्र सरकार के बीच का आंतरिक मामला है। हालांकि वित्त विभाग में अटकी इस रकम पर कैग की आपत्ति ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

अभी भी जारी है पात्रता की समीक्षा

खाद्य मंत्री ने ये भी बताया कि राजस्थान में कुल 4.46 करोड़ लोगों के लिए गेहूं का आवंटन होता है और 4.34 करोड़ लोग फिलहाल लाभ उठा रहे हैं। पात्रता की फिर से जांच और वसूली का काम अभी जारी है।

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