Rajasthan News: झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने जर्जर स्कूल भवनों में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा पर स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने जुलाई में राज्यभर में सर्वे कराया, जिसमें 5,667 स्कूलों को जर्जर घोषित किया गया। इसके बाद हाईकोर्ट ने इन स्कूलों में कक्षाएं बंद करने और वैकल्पिक व्यवस्था करने के आदेश दिए थे।

लेकिन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) की औचक निरीक्षण रिपोर्ट ने हालात की सच्चाई उजागर कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 153 स्कूल मंदिरों, निजी मकानों और खुले मैदानों में संचालित हो रहे हैं। 10 स्कूल पेड़ों के नीचे और 17 स्कूल टीनशेड में चल रहे हैं। छह स्कूल अब भी उन्हीं जर्जर भवनों में पढ़ाई करा रहे हैं, जबकि कई स्कूलों में जगह की कमी के कारण कुछ कक्षाएं बंद हैं।

कोटा के किला रामगढ़ में एक सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बच्चे खुले आसमान के नीचे नाले के पास बैठे पाए गए। वहीं, बानसूर के पार्वती का मंदिर विद्यालय में भवन पूरी तरह जर्जर होने पर 13 छात्रों की कक्षाएं मंदिर में चल रही हैं। बांदीकुई के बिशनपुरा स्कूल में 102 बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ते मिले, जिन्हें बाद में एक ग्रामीण के घर शिफ्ट किया गया।

जोधपुर के प्रतापनगर स्कूल से तो अभिभावक बच्चों की टीसी लेने लगे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि जहां स्कूलों को अस्थायी रूप से शिफ्ट किया गया, वहां भी पीने के पानी, शौचालय, बिजली और सुरक्षित भवनों की भारी कमी है।

शिक्षा विभाग के अनुसार, 1,624.29 करोड़ रुपये का बजट मरम्मत के लिए निर्धारित किया गया है। इनमें से 174 करोड़ रुपये 2,000 पूरी तरह जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए जारी किए जा चुके हैं। सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक सभी मरम्मत कार्य पूरे करने और नवंबर 2026 तक 104 नए स्कूलों का निर्माण पूरा करने का है।

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