Rajasthan News: उदयपुर. कृषि कार्यों से जुड़ी सहकारी समितियां आने वाले समय में आपकी सबसे बड़ी जरूरत बन सकती हैं। सहकारिता के नए मॉडल में दूध, अनाज, सब्जियां, गैस, डीजल-पेट्रोल, दवाएं, शिक्षा और इंटरनेट जैसी बुनियादी जरूरतें भी सहकारी समितियों के माध्यम से पूरी होंगी।

’सहकार से समृद्ध’ अभियान के अंतर्गत सहकारिता की बुनियाद को मजबूत बनाने की कवायद तेजी से चल रही है। एक तरह से बाजार में सहकारिता समितियां नई प्रतिस्पर्धी बनेंगी। प्रदेशभर में नई सहकारी समितियां बनाने का काम चल रहा है। सहकारिता के नए मॉडल में 54 तरह की सेवाएं ग्रामीण स्तर पर ही उपलब्ध हो सकेंगी। सहकारी समितियां स्वायत्तशासी निकाय है। प्रस्ताव लेकर कोई भी व्यवसाय शुरू कर सकती है। सब कुछ ठीक रहा तो सहकारिता का यह मॉडल ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नई धुरी बन सकता है।

अब मल्टीपरपज होगी सहकारी समितियां

ग्राम सेवा सहकारी समितियां अब मल्टीपरपज सहकारी समितियों के रूप में काम करेंगी। वह अपने क्षेत्र में कोई भी व्यवसाय शुरू कर सकती है। सहकारिता के नए मॉडल की पहुंच गांव-गांव तक बनाने के लिए नई देशभर में 2 लाख नई सहकारी समितियों का गठन किया जाना प्रस्तावित है। प्रदेश में अगले दो साल में 2500 सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा। इसके लिए जिलेवार लक्ष्य दिया हुआ है। इसके तहत उदयपुर जिले में 180 कॉमन सर्विस सेंटर पंजीकृत हुए हैं। वहीं करीब 90 पीएम किसान समृद्धि केन्द्र खोलने की प्रक्रिया चल रही है।

2000 करोड़ के अनुदान को मंजूरी

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को चार वर्षों के लिए 2000 करोड़ के अनुदान को मंजूरी दी है। इससे सहकारी संस्थाओं को नए प्रोजेक्ट शुरू करने, संयंत्रों के विस्तार तथा ऋण देने में सहायता मिलेगी।

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