अजमेर। राजस्थान के प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेला, जहां घोड़ों का व्यापार सदियों से चला आ रहा है, इस बार जीएसटी विभाग की सख्ती का सामना कर रहा है. पहली बार जीवित घोड़ों की बिक्री पर 5% जीएसटी लागू किया गया है, लेकिन केवल तभी जब लेन-देन 40 लाख रुपये से अधिक हो. मेले में तैनात जीएसटी टीम सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं ‘करोड़ों की घोड़ों’ की खबरों से सतर्क हो गई है. विभाग का दावा है कि ये कीमतें भ्रामक हैं, और वास्तविक बिक्री 2-3 लाख से 8-10 लाख रुपये तक ही सीमित है.


अजमेर सर्किल के जीएसटी अधिकारी एच. के. कविया ने बताया कि “अन्य पशुओं पर जीएसटी नहीं लगता, लेकिन घोड़ों पर 5% है. 40 लाख से ऊपर की बिक्री पर अनिवार्य, नीचे स्वैच्छिक. हमारी 2-3 सदस्यीय टीम रोज कैंप कर रही हैं, पशु चिकित्सा विभाग से समन्वय में. हर बिक्री पर चालान और परमिट जारी होता है.” विभाग ने सोशल मीडिया पर करोड़ों कीमतों वाली खबरों पर ध्यान दिया, जो राजस्व संग्रह को प्रभावित कर सकती है.
सोशल मीडिया पर हंगामा मचा है. चंडीगढ़ के शाहबाज ने अपने घोड़े की कीमत 15 करोड़ बताई, जबकि मालिक गैरी गिल को 9 करोड़ का ऑफर मिला. अन्य चर्चित घोड़े बादल (15 लाख), शहजादी (51 लाख) और नगीना (1 करोड़) ने सुर्खियां बटोरीं. लेकिन पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. आलोक खरे ने खंडन किया, “यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स अतिशयोक्ति कर रहे हैं. मेले में 4,500 घोड़े हैं, कोई 1 करोड़ में नहीं बिका. अधिकतम 8-10 लाख. हमारा रिकॉर्ड स्पष्ट है, जीएसटी टीम ने जांच की.”
ऑल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसाइटी के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह पोसाना ने कहा, “कई मालिक घोड़ों को प्रदर्शन या प्रजनन के लिए लाते हैं. ऊंची कीमतें बताना संपत्ति का मूल्यांकन है, लेकिन बिक्री पर ही असली कीमत तय होती है.” रील्स और वीडियोज में घोड़ों-भैंसों को ‘सितारा’ बना दिया गया, लेकिन अब विभाग कड़ी निगरानी रखेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम राजस्व बढ़ाने के साथ व्यापारियों को जागरूक करेगा, लेकिन अतिशयोक्ति पर अंकुश जरूरी. मेले में अब तक कोई जीएसटी चालान जारी नहीं हुआ, लेकिन टीम सहायता मुहैया करा रही हैं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें

