Rajasthan News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा उसकी ताकत का प्रतिबिंब है। उन्होंने समाज के प्रति स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा कि समाज में सामाजिक समरसता, शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वावलंबन के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को बस्तियों में संपर्क बनाकर समाज के अभावों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए, साथ ही परिवार के स्तर पर समरसता, पर्यावरण, और स्वदेशी जैसे विषयों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

हिंदू समाज की एकजुटता पर जोर

भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को भाषा, जाति, और प्रांत के भेद मिटाकर संगठित होना होगा। उन्होंने कहा कि समाज का निर्माण केवल ‘मैं और मेरे परिवार’ से नहीं होता, बल्कि हमें समाज की समग्र चिंता करनी होगी और इसके माध्यम से राष्ट्र की उन्नति में योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य केवल एक यांत्रिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि विचार आधारित है, जिसका उद्देश्य समाज और व्यक्ति का निर्माण करना है।

भारत की ताकत से जुड़ी उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा

भागवत ने जोर देकर कहा कि भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा उसकी मजबूत ताकत से सीधे जुड़ी हुई है। जब एक राष्ट्र मजबूत होता है, तो उसके लोग चाहे वे देश में हों या विदेश में, सुरक्षित और सम्मानित महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती विकास यात्रा में प्रत्येक नागरिक को योगदान देना चाहिए ताकि देश का सम्मान और सुरक्षा बरकरार रहे।

भारत एक हिंदू राष्ट्र

भागवत ने दोहराया कि भारत स्वाभाविक रूप से एक हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि हिंदू शब्द यद्यपि बाद में उभरा, लेकिन यह भारत के विभिन्न संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदुओं की विशेषता रही है कि उन्होंने हमेशा दूसरों को गले लगाया और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने के लिए निरंतर संवाद और पारस्परिक सम्मान का पालन किया है।

इस कार्यक्रम में डॉ. मोहन भागवत के साथ राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत संघचालक जगदीश सिंह राणा, और अन्य वरिष्ठ संघ नेता मौजूद थे। साथ ही, स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम में अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश चंद्र, और 3827 स्वयंसेवकों की उपस्थिति दर्ज की गई।

पढ़ें ये खबरें भी