Rajasthan News: कोटा में कोचिंग छात्रा की आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज न किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान पुलिस और राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता जताते हुए सवाल उठाया कि कोर्ट के पूर्व आदेशों और दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया।

राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि कोटा पुलिस पहले ही इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज कर चुकी है और मामले की जांच जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अब जल्द ही FIR भी दर्ज की जाएगी।
AAG शर्मा ने यह भी जानकारी दी कि राजस्थान सरकार ने छात्रों की असामयिक मौतों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है और इस गंभीर मुद्दे को पूरी संवेदनशीलता के साथ लिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 जुलाई निर्धारित की है।
इसे सर्वोच्च स्तर पर उठाएं- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस जेपी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने AAG शर्मा को निर्देश दिया कि इस मुद्दे को राज्य के सर्वोच्च स्तर तक ले जाया जाए। इस पर AAG शर्मा ने जवाब दिया, “मैं इस माननीय न्यायालय का प्रथम अधिकारी हूं और आपको आश्वस्त करता हूं कि जांच पूरी निष्पक्षता के साथ, कानूनी प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी।”
कोर्ट ने 6 मई और 13 मई को अपने आदेशों में FIR दर्ज करने में हुई देरी को लेकर गहरी नाराजगी जताई थी। पीठ ने स्पष्ट किया कि इस तरह की देरी से न्याय प्रक्रिया और जवाबदेही दोनों ही प्रभावित होती हैं।
कोचिंग संस्थान की दलील: छात्रा पहले ही छोड़ चुकी थी संस्थान
कोचिंग संस्थान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि छात्रा ने नवंबर 2024 में संस्थान छोड़ दिया था और अपने माता-पिता के साथ कोटा में रह रही थी। उन्होंने यह भी बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट इस मामले की निगरानी पहले से कर रहा है। ऐसे में मामला सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किए जाने पर उन्होंने आपत्ति जताई।
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