Rajasthan News: भारतीय वायुसेना का सबसे पुराना और ऐतिहासिक लड़ाकू विमान मिग-21 अब इतिहास बनने जा रहा है। बीकानेर के नाल एयरबेस से इसकी आखिरी उड़ान भरकर इसे आधिकारिक विदाई दी गई। इस खास मौके पर खुद एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी (IAF Chief) पायलट सीट पर बैठे और इस यादगार पल के गवाह बने। मिग-21 को औपचारिक रूप से 26 सितंबर को चंडीगढ़ में अंतिम विदाई दी जाएगी।

1960 के दशक से रहा ‘बैकबोन’

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि मिग-21 ने 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल होकर देश की रक्षा को नई ताकत दी। इसे दुनिया का सबसे ज्यादा बनाए और इस्तेमाल किए जाने वाला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान माना जाता है। अब तक इसके 11,000 से ज्यादा विमान तैयार किए गए और 60 से अधिक देशों ने इसका इस्तेमाल किया।

एयर चीफ का अनुभव

एयर चीफ मार्शल ने याद किया कि उन्होंने पहली बार 1985 में तेजपुर एयरबेस पर मिग-21 (टाइप-77) उड़ाया था। उनके मुताबिक यह विमान बेहद फुर्तीला, शक्तिशाली और सरल डिजाइन वाला था, हालांकि इसके लिए शुरुआती प्रशिक्षण की कड़ी जरूरत पड़ती थी।

मिग-21 का योगदान

  • 1965 का युद्ध: पहली बार भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया।
  • 1971 का युद्ध: ढाका में राज्यपाल भवन पर बमबारी कर पाकिस्तान को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया।
  • 1999 कारगिल युद्ध: ऑपरेशन सफेद सागर में हिस्सा लिया और पाकिस्तानी अटलांटिक विमान को गिराया।
  • 2019: विंग कमांडर अभिनंदन ने इसी विमान से पाकिस्तान का F-16 मार गिराया।

बाइसन संस्करण तक का सफर

समय-समय पर मिग-21 को अपग्रेड किया गया। इसका सबसे आधुनिक रूप मिग-21 बाइसन रहा, जो आधुनिक रडार और एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस था। मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना दो स्क्वाड्रन संचालित कर रही थी, जिन्हें अब चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

अब नए युग की शुरुआत

एयर चीफ ने कहा कि मिग-21 ने इंटरसेप्टर विमान के रूप में भारत की रक्षा में अहम भूमिका निभाई, लेकिन अब इसका समय पूरा हो गया है। टेक्नोलॉजी पुरानी पड़ चुकी है और इसका रखरखाव मुश्किल हो गया है। वायुसेना अब तेजस, राफेल और सुखोई-30 जैसे आधुनिक विमानों पर भरोसा करेगी। तेजस को तो खासतौर पर मिग-21 का विकल्प मानकर ही डिजाइन किया गया है।

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