Rajasthan News: स्टेट कंज्यूमर कोर्ट ने मकान के मूल दस्तावेज खोने को बैक की लापरवाही और अनुचित व्यवहार मानते हुए निजी बैंक को 10.75 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया।

जालोरी गेट निवासी ओमप्रकाश अरोड़ा ने राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर सर्किट बैंच के समक्ष परिवाद देकर बताया कि आईडीबीआई बैंक में मकान के मूल कागजात रख कर ऋण लिया। कुछ समय बाद बकाया ऋण राशि जमा करवा दी तथा मूल दस्तावेज लौटाने की मांग की, बैंककर्मी टालमटोल करते रहे, बाद में बैंक ने कहा कि मकान के मूल दस्तावेज मुम्बई में जलकर नष्ट हो गए, बैंक मूल दस्तावेज की प्रमाणित प्रति देने को तैयार है। इस बीच परिवादी ने मकान बेचने का सौदा भी कर लिया, लेकिन बैक ने कागजात नही लौटाए।

परिवादी ने बैंक के विरुद्ध सेवा दोष बताते हुए क्षतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत किया। बैंक ने जवाब में कहा कि परिवादी के असल दस्तावेज मुंबई में सुरक्षित रखने के लिए भेजे गए थे ,लेकिन वहां पर आग लगने से कई दस्तावेज जल गए जिसकी सूचना परिवादी को भी दी गई तथा दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति देने के लिए भी लिखा, परंतु परिवादी ने संपर्क नहीं किया,परिवादी ने मकान विक्रय का कोई इकरारनामा प्रस्तुत नहीं किया। आयोग के न्यायिक सदस्य निर्मल कुमार मेडतवाल व सदस्य लियाकत अली ने दोनों पक्षों को सुनकर आदेश दिया कि बैंक ने असल दस्तावेजों की सुरक्षा में चूक की है,परिवादी का इकरारनामा भी रद्द हो गया। मूल दस्तावेज के अभाव में बाजार में मकान की कीमत कम हो जाती है।

हर्जाने के साथ नया पट्टा देने का आदेश

स्टेट कंज्यूमर कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों के मद्देनजर परिवादी के असल दस्तावेज नष्ट हो जाने को बैंक का सेवा दोष मानते हुए बैंक को 10 लाख रुपए हर्जाना व अन्य खर्च के कुल 75 हजार रुपए दो माह में देने का आदेश दिया।साथ ही परिवादी को राजस्थान सरकार के परिपत्र के अनुसार दो माह की अवधि में अपने खर्चे पर नया असल पट्टा जारी करने का आदेश भी दिया।

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