Rajasthan News: जिले में गुलाबी ठंड का असर अब महसूस होने लगा है, जिससे न केवल सैलानियों बल्कि प्रवासी पक्षियों का भी आगमन शुरू हो गया है। जैसलमेर के डीएनपी क्षेत्र में हाल ही में मंगोलिया का राष्ट्रीय पक्षी, ‘साकर फाल्कन’, देखा गया है। यह फाल्कन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रजाति है और शिकार की खोज में यह 200 मील प्रति घंटे तक की गति तक पहुंच सकता है।

जैसलमेर के पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पैमाणी और मूसा खान ने इस पक्षी को देखा है। ठंड बढ़ने के साथ ही अब जैसलमेर में उत्तरी और मध्य एशिया के साथ-साथ यूरोप से भी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। ठंड से बचने के लिए ये पक्षी लंबी दूरी तय कर भारत आते हैं, और जैसलमेर तथा पास के खीचन क्षेत्र इनका पसंदीदा प्रवास स्थल बनते हैं। अच्छी बारिश से तालाब पानी से भरे हुए हैं, जिनमें कुरजां, यूरेशियन रोलर, वेरिएबल व्हिटियर, रोजी स्टार्लिंग, स्पॉटेड फ्लाईकैचर और स्टेपी ईगल जैसे कई अन्य प्रवासी पक्षी भी देखे गए हैं। पश्चिम एशिया से रूफस टेल्ड स्क्रब रॉबिन भी जैसलमेर पहुंच चुकी है।

जैसलमेर में शिकार करने आते हैं कई प्रवासी पक्षी

जैसलमेर का शांत वातावरण प्रवासी पक्षियों को लंबे समय तक रुकने के लिए आकर्षित करता है। मिडिल ईस्ट से ‘लोंग लेग बर्ड’ हजारों किलोमीटर का सफर तय कर जैसलमेर पहुंचता है और यहां सांडा, रेगिस्तानी चूहे और सांपों का शिकार करता है। अन्य पक्षी कैर और बैर के फल खाने आते हैं, जबकि कुछ गिद्ध अन्य शिकारी पक्षियों द्वारा छोड़े गए अवशेष खाते हैं।

अप्रैल में वतन लौट जाते हैं प्रवासी पक्षी

जैसलमेर में ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ ही प्रवासी पक्षियों का आना शुरू होता है, और वे यहां मार्च तक रहते हैं। करीब छह माह के इस प्रवास में ये पक्षी जैसलमेर को एक पर्यटक स्थल का रूप दे देते हैं।

किसानों के लिए लाभकारी हैं प्रवासी पक्षी

जल स्रोतों में पानी भरा होने के कारण इस साल प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है। जलभराव वाले क्षेत्रों में ये पक्षी पानी के कीटों, उनके लार्वा और जलीय वनस्पतियों का सेवन करते हैं। इनके आने से खड़ीन और खेतों के किसानों को लाभ मिलता है, क्योंकि ये पक्षी मिट्टी को हलचल देते हैं और उनकी बीट से उर्वरक भी प्राप्त होता है।

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