Rajasthan News: राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत देते हुए एक क्लिक में पंजीयन डीड स्वतः तैयार होने की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसके लिए पंजीयन विभाग ने दस्तावेजों के हस्तांतरण के लिए ऑटो डीड जेनेरेशन सिस्टम विकसित किया है। नई व्यवस्था में मुख्यतः चार प्रकार के दस्तावेजों यथा-विक्रय पत्र, दान पत्र, लीज डीड एवं किरायानामा के पंजीयन के लिए ऑटो-डीड जेनरेशन की व्यवस्था लागू की गई है। आने वाले समय में इसे अन्य हस्तान्तरण विलेखों के लिये भी इस्तेमाल किया जायेगा।
वित्त विभाग के शासन सचिव राजस्व डॉ. कृष्णकांत पाठक ने बताया कि मंख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा 2021-22 में प्रशासनिक व्यवस्था में ब्लॉकचेन टेक्नोलोजी का प्रयोग करने, डिजिटल वेरिफिकेशन आधारित ऑटो अप्रूवल प्रणाली विकसित करने व बजट 2022-23 में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से ’स्वत’ Swatah- Self Working Automation & Technological Augmentation with Holistic Approach की घोषणा की थी। उन्होेंने बताया कि पंजीयन व मुद्रांक विभाग ने दोनों ही बजट घोषणाओं की क्रियान्विति करते हुए ई-पंजीयन सॉफ्टवेयर में ऑटो-डीड जेनेरेशन की नई व्यवस्था प्रारम्भ का दी है। इससे व्यवस्था के पारदर्शी और आमनागरिकों के सहज पहुंच में होने से उन्हें अनावश्यक रुप से पंजीयन कार्यालयों व अन्य स्थानों पर नहीं जाना पड़ेगा। वहीं इलेक्ट्रोनिक व्यवस्था होने से डिजीलॉकर आदि में दस्तावेज सुरक्षित रह सकेंगे।
पंजीयन कराते समय हस्तान्तरण से जुड़े पक्षकारों का विवरण, हस्तान्तरित की जाने वाली सम्पदा का विवरण और हस्तान्तरण की सामान्य शर्तें भरी जाती है। प्रथम दोनों बिन्दुओं का विवरण चेक लिस्ट के रूप में ऑनलाइन भरा जाता रहा है। सम्पदा के हस्तान्तरण में विभिन्न शर्तें अधिकांशतः समान होती हैं। ऐसे में ये पूर्व निर्धारित रूप में हस्तान्तरण विलेख का हिस्सा बन जायेंगी। यदि किसी बिन्दु पर पक्षकारों या विलेख के लेखकों को कोई संशोधन की आवश्यकता है, तो वह आवश्यक संशोधन भी किया जा सकेगा।
वित्त सचिव डॉ. पाठक ने बताया कि राज्य में नई पारदर्शी व सरलीकृत ऑटो-डीड व्यवस्था लागू होने से आम नागरिकों को दस्तावेज तैयार करवाने एवं पंजीकृत करवाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही सरल एवं एकीकृत रूप में दस्तावेज तैयार होने से उसमें अस्पष्टता और विसंगतियों की संभावनायें कम होने, भौतिक दस्तावेजों में काट-छांट व छेड़छाड़ के साथ ही ऑटो-डीड के दुरूपयोग की संभावनाएं नगण्य रहने, दस्तावेजों को स्कैन करने की आवश्यकता समाप्त होने के साथ ही पंजीयन कार्यालयों पर भी दबाव कम हो जाएगा। ऑटो-डीड के मामलें में डीड कम्प्यूटर द्वारा ही सृजित होगी और वहीं इलेक्ट्रोनिक रूप में उपलब्ध रहेगी। ऑटो-जेनरेटेड डीड इलेक्ट्रोनिक रूप में कम्प्यूटर में उपलब्ध होने के कारण उसकी प्रति कभी भी कहीं भी ली जा सकती है। प्रत्येक दस्तावेज भारत सरकार के डिजिलॉकर तथा राज्य सरकार के ई-वॉलेट पर पक्षकारों को सदैव उपलब्ध रहेगा।
सरलीकृत व्यवस्था का खुलासा करते हुए डॉ. पाठक ने बताया कि पंजीयन में जन-आधार एवं आधार नम्बर आधारित इलेक्ट्रोनिक रेपोजेटरी की भी व्यवस्था की जा रही है। जन-आधार से लिंक होने के कारण जो पक्षकार अपनी आई.डी. के रूप में जन-आधार नम्बर भरेंगे, उनका सारा डेटा ऑटो-फैच हो जायेगा, जिससे उनके डिटेल्स भरने में आसानी होगी। आधार नम्बर आधारित ई-केवाईसी की स्थिति में किसी दस्तावेज पंजीयन में साक्षी की आवश्यकता भी समाप्त की जायेगी। इसके अतिरिक्त दस्तावेज सर्च को भी आसान व सुलभ बनाया गया है।
इसके साथ ही ई-ग्रास की नई सुविधा विकसित की जा रही है, जिससे स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क जमा कराना व रिफण्ड कराना सरल हो जायेगा। यदि किसी दस्तावेज में किसी अतिरिक्त राशि की आवश्यकता पड़ती है, तो वहां क्यू.आर. कोड/स्वाइप पॉस मशीन से भुगतान सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी।
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