Rajasthan News: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 7 सितंबर को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क सफारी का उद्घाटन किया. हेरिटेज मेयर कुसुम यादव और वन विभाग के कुछ कर्मचारियों को कार्यक्रम में प्रवेश नहीं मिला. जयपुर में अब लेपर्ड, लॉयन और एलिफेंट के बाद टाइगर सफारी का आनंद भी लिया जा सकेगा. सफारी के लिए 8 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाया गया है, जहां 45 मिनट तक सफारी का लुत्फ उठाया जा सकेगा.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ मंत्री झाबर सिंह खर्रा और संजय शर्मा भी मौजूद थे. इस सफारी की शुरुआत के बाद जयपुर देश का पहला शहर बन जाएगा, जहां लेपर्ड, लॉयन और एलिफेंट के बाद अब टाइगर सफारी भी उपलब्ध होगी.
टाइगर सफारी में 10 शेल्टर बनाए गए हैं टाइगर सफारी में पुणे से लाई गई बाघिन भक्ति को रखा जाएगा. यहां 10 शेल्टर बनाए गए हैं, जहां बाघिन भक्ति, चमेली और बाघ गुलाब रहेंगे. कुछ समय बाद गुलाब और चमेली को सफारी में छोड़ा जाएगा. सफारी में 8 के आकार में दो ट्रैक तैयार किए गए हैं.
पुरानी गाड़ियों का उपयोग सफारी में टाइगर सफारी में फिलहाल पुरानी कैंटर गाड़ियों का ही इस्तेमाल होगा. नए वाहनों के लिए टेंडर निकाले गए थे, लेकिन उनके आने में समय लगेगा. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पुराने वाहन ही फिलहाल सफारी के लिए इस्तेमाल होंगे.
कुसुम यादव बनीं नई कार्यवाहक
हेरिटेज मेयर जयपुर हेरिटेज नगर निगम की नई कार्यवाहक मेयर कुसुम यादव बनाई गई हैं. मुनेश गुर्जर को 23 सितंबर को मेयर पद से निलंबित कर दिया गया था, जो रिश्वत के मामले में कोर्ट में चल रही कार्यवाही के चलते हुआ. कुसुम यादव का कार्यकाल दो महीने का होगा, क्योंकि कार्यवाहक मेयर का चुनाव सिर्फ दो महीने के लिए किया जा सकता है. कुसुम यादव को बीजेपी का समर्थन प्राप्त है, क्योंकि वह पहले बीजेपी में थीं.
सफारी का शुल्क 252 रुपए
डीएफओ जगदीश गुप्ता ने बताया कि 8 किलोमीटर लंबा सफारी ट्रैक तैयार किया गया है. पर्यटक 45 मिनट तक सफारी का आनंद ले सकेंगे, जिसके लिए उन्हें 252 रुपए का शुल्क देना होगा, जिसमें जैविक उद्यान का प्रवेश शुल्क भी शामिल है. नाहरगढ़ में टाइगर सफारी को लगभग साढ़े चार करोड़ की लागत से तैयार किया गया है, जिसमें फेंसिंग, आउटर ट्रैक और गार्ड रूम शामिल हैं. साथ ही, वाटर पॉइंट और 10 शेल्टर भी बनाए गए हैं.
सफारी में पुरानी गाड़ियों का उपयोग
सफारी में फिलहाल पुरानी कैंटर गाड़ियों का उपयोग होगा. वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, ये वाहन पुराने हो चुके हैं और इन्हें बदलने की आवश्यकता है. लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ये अब भी चल रहे हैं, हालांकि ये अक्सर खराब भी हो जाते हैं.
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