Rajasthan News: जोधपुर. राजस्थान के शिक्षा विभाग में राजस्थानी भाषा ही अपेक्षित है. जोधपुर जिले में देखें तो महज 11 स्कूलों में ही राजस्थानी विषय है. इसमें भी 3 जगह व्याख्याता के पद खाली पड़े हैं. जबकि राजस्थानी से ज्यादा शिक्षा विभाग की 18 स्कूलों में उर्दू विषय पढ़ाए जा रहे हैं.

जिले के बालेसर, शेरगढ़ व तिंवरी में व्याख्याताओं के पद खाली हैं. शेरगढ़ में दो पोस्ट में से एक खाली हैं. ओसियां में 2 में से 2, केरू में 1, जोधपुर सिटी में 1, धवा में 1, चामू में 1 व बाप में 1 व्याख्याता का पद भरा हुआ है. 22 ब्लॉकों में से राजस्थानी विषय सिर्फ 9 ब्लॉक में ही है.

अन्य लैंग्वेज का है ये हाल

शिक्षा विभाग में शेष लैंग्वेज देखें तो अंग्रेजी अनिवार्य विषय के 176 में से 159 पद भरे और 17 खाली है. हिंदी अनिवार्य के 157 में से 126 भरे हुए हैं. अंग्रेजी लिटरेचर के तो विभाग में पद ही समाप्त कर दिए. हिंदी लिटरेचर के 424 में से 319 पद भरे व शेष 105 रिक्त हैं. संस्कृत लिटरेचर के 17 में से 16 पद भरे हैं.

उर्दू लिटरेचर के 18 में से 16 पद भरे हुए हैं. शिक्षक नेता कोमलसिंह ने बताया कि राजस्थानी हमारी मातृभाषा है. नई शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट उल्लेख है कि प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा में शिक्षण दिया जाए. इसके लिए राजस्थानी को मान्यता मिलनी चाहिए. विस में प्रश्न उठा था कि राजस्थानी में शपथ नहीं ले सकते जबकि 8वीं अनुसूची में अंग्रेजी का भी जिक्र नहीं है, फिर भी विधायक अंग्रेजी में शपथ लेते हैं.

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