Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस इन दिनों संगठन के ढांचे को मजबूत करने में जुटी है, लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा तय की गई डेडलाइन के बावजूद अब तक आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने 28 जून तक प्रदेश संगठन के सभी रिक्त पद भरने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब जब यह तारीख सिर्फ 14 दिन दूर है, पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही बन गई है कि इतने कम वक्त में सैकड़ों पद कैसे भरे जाएं।

28 अप्रैल को जयपुर में आयोजित ‘संविधान बचाओ’ रैली के दौरान खड़गे ने साफ निर्देश दिए थे कि प्रदेश कार्यकारिणी से लेकर जिला और ब्लॉक स्तर तक की सभी नियुक्तियां तय समय में पूरी होनी चाहिए। उन्होंने इस वर्ष 2025 को संगठन निर्माण को समर्पित बताया था और देशभर में इसी दिशा में काम करने की बात दोहराई थी। मगर राजस्थान में हालात अब भी असंतोषजनक हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने इस प्रक्रिया को जारी बताया है और कहा कि निचले स्तर पर संगठनात्मक ढांचा मजबूत किया गया है। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति AICC स्तर पर होनी है और कई नामों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने भरोसा जताया कि शेष पद जल्द भर लिए जाएंगे। लेकिन वास्तविकता यह है कि कांग्रेस के लगभग दो दर्जन विभाग और प्रकोष्ठ ऐसे हैं, जो पिछले पांच वर्षों से अस्तित्व में ही नहीं आ सके।
सचिन पायलट खेमे की जुलाई 2020 में हुई बगावत के बाद AICC ने राजस्थान कांग्रेस का पूरा संगठन भंग कर दिया था। उसके बाद कुछ जिलाध्यक्षों और कार्यकारिणी सदस्यों की नियुक्तियां जरूर हुईं, लेकिन अधिकांश विभाग और प्रकोष्ठ आज भी रिक्त हैं। अब तक सिर्फ कुछ विभागों में जैसे एससी-एसटी, ओबीसी, सोशल मीडिया और शिक्षक प्रकोष्ठ में ही नियुक्तियां की गई हैं।
संगठनात्मक स्तर पर जो नए जिले बनाए गए हैं, उनमें भी अब तक किसी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। 239 नगर अध्यक्षों में से सिर्फ 104 की नियुक्ति हुई है। 2200 मंडलों में से केवल 1400 मंडल कार्यकारिणियां और 400 ब्लॉकों में से सिर्फ 300 ब्लॉक कार्यकारिणियां ही गठित की जा सकी हैं।
ऐसे में जब विपक्षी दल तेजी से अपने संगठन को मजबूत कर रहे हैं, राजस्थान कांग्रेस अब भी अपनी ही ढांचागत खामियों से जूझ रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा तय की गई डेडलाइन अब प्रदेश कांग्रेस के लिए केवल एक तारीख नहीं, बल्कि संगठनात्मक और राजनीतिक क्षमता का गंभीर परीक्षण बन चुकी है। अगर इस दिशा में शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह लापरवाही आने वाले समय में पार्टी को भारी पड़ सकती है।
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