Rajasthan News. जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने फोर्ड कंपनी को भारतीय बाजार में फिर से प्रवेश से रोकने के लिए दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है और याचिकाकर्ता पर 5 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. अदालत ने यह हर्जाना राशि दो महीने के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का आदेश दिया है. यह निर्णय जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता ने आरनव सोनी की पीआईएल खारिज करते हुए दिया.
अदालत ने कहा कि यह जनहित याचिका पब्लिसिटी के लिए दायर की गई प्रतीत होती है. याचिकाकर्ता ऐसा कोई उदाहरण प्रस्तुत नहीं कर सका जिसमें यह साबित होता हो कि फोर्ड के जाने के बाद टाटा कंपनी ने सर्विस देने में कोई कोताही की हो. केंद्र सरकार ने भारतीय बाजार में व्यापार के लिए नियम और शर्तें तय की हुई हैं, और किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में व्यापार से रोकने के लिए पीआईएल नहीं हो सकती. ऐसी जनहित याचिकाएं अदालत का समय बर्बाद करती हैं और विदेशी निवेश को हानि पहुंचाने का खतरा होता है. इसलिए, इस प्रकार के मामलों में नोटिस जारी करने से निवेशकों में गलत संदेश जाएगा.
याचिकाकर्ता का तर्क था कि फोर्ड कंपनी को भारत में फिर से प्रवेश करने से रोका जाए. याचिका में कहा गया कि कंपनी पहली बार 1926 में भारत आई थी और 1953 में कारोबार बंद कर चली गई. फिर 1995 में महिंद्रा कंपनी के साथ साझेदारी में आई, लेकिन 2021 में टाटा कंपनी को प्लांट बेचकर फिर से चली गई. अब कंपनी ने गूगल के साथ मिलकर भारतीय बाजार में पुनः प्रवेश की घोषणा की है. याचिका में यह भी कहा गया कि ऐसी कंपनी को भारत में प्रवेश पर रोक लगाई जाए जो बार-बार देश से चली जाती है. इसके अलावा, यदि उसे पुनः भारतीय बाजार में प्रवेश की अनुमति दी जाती है, तो उसे भारत में बेची गई कारों का दस प्रतिशत पीएम केयर फंड में जमा करने के निर्देश दिए जाएं.
केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि फोर्ड ने देश छोड़ने से पहले टाटा कंपनी को उनके सभी वाहनों की सर्विस देने की जिम्मेदारी सौंपी थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 5 लाख रुपए के हर्जाने के साथ याचिका को खारिज कर दिया.
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