Rajasthan News: टोंक जिले के मालपुरा में जुलाई 2000 में हुए दंगों के मामले में मंगलवार को कोर्ट ने 13 आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। सांप्रदायिक दंगा मामलों के जयपुर स्थित विशेष न्यायालय ने पुलिस जांच पर सवाल खड़े करते हुए टिप्पणी में कहा कि मामले में तीन अनुसंधान अधिकारी रहे, फिर भी जांच ठीक से नहीं हुई।

कोर्ट ने इस मामले में आरोपी रहे रामस्वरूप, श्योजी गुर्जर, सुखलाल, रतनलाल, देवकरण, रामकिशोर, छोटू, बच्छराज, किस्तूर, हीरालाल, सत्यनारायण व किशनलाल नाम के दो व्यक्तियों को बरी करते हुए यह आदेश दिया। दंगे के दौरान 10 जुलाई 2000 को मोहम्मद सलीम व मोहम्मद अली की हत्या हो गई। शहजाद ने अपने भाई व चाचा की हत्या को लेकर मालपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
इसको लेकर अभियोजन पक्ष ने 25 गवाहों के बयान कराए। अधिवक्ता वी के बाली व अधिवक्ता सोनल दाधीच ने आरोपियों का बचाव करते हुए कहा था कि चश्मदीद संदेहास्पद थे और गवाहों के अनुसार आरोपियों के चेहरे ढके हुए थे। पुलिस ने वह हथियार भी बरामद नहीं किया, जिससे हत्या होना बताया गया। घटना के समय धारा 144 के अंतर्गत निषेधाज्ञा लगी हुई थी।
आठ पहले हो चुके बरी
मालपुरा दंगे से संबंधित एक मामले में आठ लोगों को हाईकोर्ट पहले ही बरी कर चुका है। जिनमें से एक की मौत हो चुकी है। मामले में अब तक 22 में से 21 लोग बरी हो गए हैं और एक नाबालिग के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई चल रही है।
एक को छोड़कर नहीं हुई शिनाख्त परेड
अभियोजन पक्ष ने जो गवाह पेश किए, वे घटना के समय मौजूद ही नहीं थे। कोर्ट ने माना कि पुलिस ने एक आरोपी को छोड़कर किसी की भी शिनाख्त परेड नहीं करवाई। विशेष न्यायालय ने जुलाई 2000 के मालपुरा दंगा मामले से संबंधित एक अन्य मामले में सुनवाई 24 अगस्त तक टाल दी।
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